सीरिया में लंबे समय से जारी गृह युद्ध के बीच राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार गिरने के साथ ही जर्मनी में नई बहस शुरू हो गईहै. एक ओर जहां सीरियाई शरणार्थी सीरिया में हुए तख्तापलट का जश्न मना रहे हैं, वहीं जर्मनी के कई सांसदों ने इन लाखों सीरियाई शरणार्थियों को उनके वतन वापस भेजने की मांग शुरू कर दी है. इन सांसदों का कहना है कि अब जर्मनी इन शरणार्थियों का बोझ नहीं उठा सकता है.
सीरियाई शरणार्थियों ने मनाया जश्न
Listen up, folks! A million Syrians hightailed it to Germany in 2015 to dodge Assad's drama. Well, guess what? Assad's out of the picture now!
— 🇺🇸 The Deplorable Jaz McKay 🇺🇸 (@DeplorableJaz) December 8, 2024
Time for these FORMER refugees to pack their bags and hit the road back to sunny Syria, 'cause they've got a shiny new government to… pic.twitter.com/kaOII5jAWa
इसी तरह, जर्मन सांसद जेंस स्पैन ने भी शरणार्थियों को स्वदेश भेजने की बात कही और सुझाव दिया कि उन्हें घर लौटने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाए. उन्होंने कहा, 'हम उनकी वापसी के लिए विशेष उड़ानों का प्रबंध कर सकते हैं और उन्हें 1,000 यूरो की शुरुआती सहायता दी जाएगी.'
राजनीतिक दलों की सहमति और विवाद
आश्चर्यजनक रूप से, यह मांग न केवल दक्षिणपंथी दलों बल्कि वामपंथी नेताओं के बीच भी समर्थन पा रही है. बवेरिया के कंज़र्वेटिव नेता मार्कस सोडर ने कहा, 'अगर शरण देने का कारण समाप्त हो गया है, तो किसी व्यक्ति के जर्मनी में रहने का कानूनी आधार भी समाप्त हो जाता है.'
वामपंथी नेता सारा वागेनख्नेक्ट, जो हाल ही में एक नई एंटी-इमीग्रेशन पार्टी की स्थापना कर चुकी हैं, ने कहा, 'मैं उम्मीद करती हूं कि जो सीरियाई यहां जश्न मना रहे हैं, वे जल्द से जल्द अपने देश लौट जाएं.'
जर्मनी में शरणार्थियों की स्थिति और चिंता
2015 में तत्कालीन चांसलर एंजेला मर्केल ने सीरिया से लाखों शरणार्थियों के लिए जर्मनी के दरवाजे खोल दिए थे. उनका नारा 'हम इसे संभाल लेंगे' उस समय मानवता की मिसाल बन गया था. लेकिन लगभग एक दशक बाद, जर्मनी में शरणार्थियों की बढ़ती संख्या के साथ यह मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2023 तक जर्मनी में लगभग 9.75 लाख सीरियाई नागरिक रह रहे थे, जो यूरोप में सीरियाई शरणार्थियों की सबसे बड़ी संख्या है.