क्रिसमस बाजार में कार से लोगों को कुचला, इस्लाम से है चिढ़, खुल गया जर्मनी के डॉक्टर के गुनाहों का काला चिट्ठा

 जर्मनी के मैगडेबर्ग शहर में क्रिसमस बाजार में कार हमले ने दो लोगों की जान ले ली और 68 लोगों को घायल कर दिया. संदिग्ध तालेब ए. का जन्म 1974 में सऊदी अरब के होफुफ में हुआ था. 2006 में वह जर्मनी आए और 2016 में शरणार्थी का दर्जा प्राप्त किया.

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Babli Rautela

Saudi Doctor Arrested: जर्मनी के मैगडेबर्ग शहर में क्रिसमस बाजार में कार हमले ने दो लोगों की जान ले ली और 68 लोगों को घायल कर दिया. इस भीषण हमले के पीछे का संदिग्ध, 50 साल के डॉक्टर तालेब ए.,अपनी विवादित विचारों को लेकर लगातार चर्चा में बना हुए है.

संदिग्ध तालेब ए. का जन्म 1974 में सऊदी अरब के होफुफ में हुआ था. 2006 में वह जर्मनी आए और 2016 में शरणार्थी का दर्जा प्राप्त किया. तालेब एक मुस्लिम और इस्लाम का कट्ठर आलोचक हैं. वह जर्मनी की दक्षिणपंथी और आव्रजन-विरोधी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के समर्थक भी माने जाते हैं.

तालेब पर आरोप है कि उन्होंने एक किराए की बीएमडब्ल्यू कार को बाजार में भीड़ पर चढ़ा दिया. यह हमला 22 दिसंबर की शाम को हुआ, और सीसीटीवी फुटेज में तालेब को कार चलाते हुए देखा गया.

कौन है डॉक्टर तालेब ए.?

सऊदी अरब में तालेब अपने नास्तिक विचारों को खुलकर व्यक्त नहीं कर सकते थे. जर्मनी में आने के बाद, उन्होंने 'WeAreSaudi.net' नाम से एक वेबसाइट बनाई, जो सऊदी अरब और खाड़ी देशों से भागने वाले नास्तिकों की मदद करती थी.

जर्मनी ने सऊदी अरब के प्रत्यर्पण अनुरोध को अस्वीकार करते हुए तालेब को शरण दी थी, हालांकि वह सऊदी सरकार के आतंकवाद और मानव तस्करी के मामलों में वांछित थे.

घटना पर अंतरराष्ट्रीय और राजनीतिक 

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने घटना की निंदा करते हुए कहा, 'हम पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ खड़े हैं.' जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर ने कहा, 'क्रिसमस की शांति को अचानक छीन लिया गया'.

सऊदी अरब ने भी हमले की निंदा करते हुए पीड़ितों के परिवारों और जर्मनी के लिए संवेदनाएं व्यक्त कीं.

सुरक्षा एजेंसियों की चेतावनी और सवाल

जर्मनी की सुरक्षा एजेंसी ने पहले ही क्रिसमस बाजारों को संभावित 'वैचारिक हमले' के लिए संवेदनशील बताया था. एएफडी पार्टी की नेता एलिस वीडेल ने हमले की निंदा करते हुए कहा, 'यह पागलपन कब रुकेगा?'

यह हमला जर्मनी में सुरक्षा चिंताओं को एक बार फिर से सतह पर ले आया है. इसके साथ ही, यह घटना धार्मिक और राजनीतिक विचारधाराओं के टकराव और प्रवासी नीति पर भी सवाल खड़े करती है.