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जर्मनी में गहराया राजनीतिक संकट, राष्ट्रपति ने भंग की संसद, इस तारीख को चुनाव कराने का किया आह्वान

स्टाइनमायर ने चुनावी अभियान को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित करने की अपील करते हुए चेतावनी दी कि "बाहरी प्रभाव लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा करते हैं, चाहे वह छिपे हुए तरीके से हो, जैसा कि हाल ही में रोमानिया में चुनावों में देखा गया, या खुले और स्पष्ट रूप से हो, जैसा कि वर्तमान में विशेष रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर देखा जा रहा है."

जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टाइनमायर ने शुक्रवार को जर्मनी की संसद के निचले सदन को भंग कर दिया और 23 फरवरी, 2024 को आकस्मिक चुनाव का आह्वान किया. यह कदम चांसलर ओलाफ शोल्ज़ की त्रिकोणीय गठबंधन सरकार के विघटन के बाद उठाया गया. राष्ट्रपति स्टाइनमायर का कहना था कि जर्मनी को अब एक ऐसी सरकार की आवश्यकता है, जो संकट के समय में सक्षम हो और संसद में स्थिर बहुमत बनाए रख सके.

राष्ट्रपति स्टाइनमायर का बयान
बर्लिन में आयोजित एक भाषण में राष्ट्रपति स्टाइनमायर ने कहा, "खासकर मुश्किल समय में, स्थिरता के लिए एक ऐसी सरकार की आवश्यकता होती है, जो कार्य करने में सक्षम हो और संसद में विश्वसनीय बहुमत हो. यही कारण है कि जल्द चुनाव (आकस्मिक चुनाव) जर्मनी के लिए सही रास्ता है."

उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव के बाद राजनीति का मुख्य उद्देश्य फिर से समस्याओं का समाधान बनना चाहिए. इस भाषण में स्टाइनमायर ने चुनावी अभियान को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित करने की अपील की. उन्होंने चेतावनी दी कि "बाहरी प्रभाव लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा करते हैं, चाहे वह छिपे हुए तरीके से हो, जैसा कि हाल ही में रोमानिया में चुनावों में देखा गया, या खुले और स्पष्ट रूप से हो, जैसा कि वर्तमान में विशेष रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर देखा जा रहा है."

चांसलर शोल्ज़ का विश्वास मत
चांसलर ओलाफ शोल्ज़, जो सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) से हैं, ने इस महीने के शुरुआत में संसद में विश्वास मत खो दिया था. यह संकट तब उत्पन्न हुआ जब वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर के फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (FDP) के बाहर जाने के कारण शोल्ज़ की गठबंधन सरकार ने अपना संसदीय बहुमत खो दिया. इस राजनीतिक संकट ने चुनावी प्रचार को तेज़ कर दिया, और शोल्ज़ के प्रतिस्पर्धी, कंजरवेटिव पार्टी के नेता फ्रेडरिक मर्ज़ ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने अत्यधिक नियम-कानून लगाए हैं और विकास को अवरुद्ध किया है.

चुनावी माहौल और संभावित परिणाम
चुनाव के बाद जर्मनी के राजनीतिक परिदृश्य में संभावित बदलावों को लेकर विश्लेषक अंदाजा लगा रहे हैं. अधिकांश चुनावी सर्वेक्षणों के अनुसार, कंजरवेटिव पार्टी (CDU/CSU) को SPD से 10 प्रतिशत से अधिक का अच्छा लाभ मिल सकता है. वहीं, दक्षिणपंथी पार्टी 'ऑल्टर्नेटिव फॉर जर्मनी' (AfD) SPD से थोड़ा आगे निकल रही है, जबकि गठबंधन सहयोगी 'ग्रीन्स' चौथे स्थान पर हैं.

मुख्य धारा की पार्टियों ने AfD के साथ किसी भी गठबंधन से मना कर दिया है, लेकिन इस पार्टी की उपस्थिति जर्मन संसद के गणित को जटिल बना रही है, जिससे कमजोर गठबंधन सरकारों की संभावना अधिक हो सकती है.

लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया
राष्ट्रपति स्टाइनमायर ने अपने भाषण में लोकतंत्र की अहमियत को भी रेखांकित किया और यह सुनिश्चित करने की बात की कि चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष हो. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर हो रहे बाहरी प्रभावों और हेरफेर से लोकतांत्रिक चुनावों की स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है, इसलिए चुनावी प्रचार में ईमानदारी और निष्पक्षता अनिवार्य है.