Adani Power Share: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले, अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी को एक बड़ी राहत मिली है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उस कानून पर रोक लगा दी है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता है. इस फैसले के बाद अडानी समूह के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने FCPA (Foreign Corrupt Practices Act) को लागू करने में ढील देने का आदेश दिया है. उनका कहना है कि इस कानून की वजह से अमेरिकी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा था. इस फैसले के बाद मंगलवार को शेयर बाजार में अडानी समूह की सभी कंपनियों के शेयरों में तेजी देखी गई.
प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिकी दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 से 13 फरवरी तक अमेरिका दौरे पर रहेंगे. इस दौरान वे राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि इस यात्रा में व्यापार और निवेश को लेकर अहम बातचीत हो सकती है.
क्या दिए गए हैं नए निर्देश?
ट्रंप ने अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पामेला बॉन्डी को निर्देश दिया है कि जब तक नए दिशानिर्देश जारी नहीं होते, तब तक इस कानून के तहत कोई भी कानूनी कार्रवाई न की जाए. व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि 1977 में लागू हुए इस कानून का कई बार दुरुपयोग हुआ है और यह अमेरिका के व्यापारिक हितों के खिलाफ काम कर रहा है.
क्या है FCPA कानून?
FCPA वह कानून है, जो किसी भी अमेरिकी कंपनी या व्यक्ति को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत या महंगे उपहार देने से रोकता है, ताकि वे विदेशों में व्यापारिक सौदे हासिल न कर सकें. ट्रंप प्रशासन पहले कार्यकाल के दौरान ही इस कानून में ढील देने की योजना बना रहा था, लेकिन अब जाकर इस पर ठोस फैसला लिया गया है.
अमेरिकी सांसदों ने अडानी ग्रुप पर उठाए सवाल
इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस के छह सांसदों ने अटॉर्नी जनरल पामेला बॉन्डी को पत्र लिखकर अडानी ग्रुप से जुड़े मामलों की समीक्षा की मांग की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि जो बाइडेन प्रशासन के दौरान अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने अडानी ग्रुप के खिलाफ संदिग्ध फैसले लिए थे, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों पर असर पड़ सकता था.
क्या है अडानी पर लगे आरोप?
नवंबर 2024 में न्यूयॉर्क की एक अदालत में गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अडानी समूह से जुड़े सात अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. आरोप है कि सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को कथित तौर पर 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी गई थी.
इस मामले में अडानी समूह ने अमेरिकी सूचीबद्ध कंपनी एज्योर पावर के अधिकारियों के साथ मिलकर सौदेबाजी की थी. अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह सौदा FCPA कानून के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. अदालत ने गौतम अडानी और सागर अडानी के खिलाफ अरेस्ट वारंट भी जारी किए थे
अडानी ग्रुप को मिली राहत
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से न केवल अडानी ग्रुप को राहत मिली है, बल्कि अमेरिकी कंपनियों को भी व्यापारिक मामलों में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी. मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान इस मामले पर और अधिक स्पष्टता आने की संभावना है.