Balochistan Crisis: पाकिस्तान के वरिष्ठ मौलवी और सांसद मौलाना फजल-उर-रहमान ने संसद में बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान प्रांत के 5 से 7 जिले कभी भी आज़ादी की घोषणा कर सकते हैं. उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध का ज़िक्र करते हुए चेताया कि यदि ऐसा हुआ, तो पाकिस्तान को वैसा ही पतन देखना पड़ सकता है जैसा बांग्लादेश की मुक्ति के समय हुआ था.
संयुक्त राष्ट्र को लेकर जताई चिंता
आपको बता दें कि फजल-उर-रहमान ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (NA) में कहा कि यदि बलूचिस्तान के जिलों ने आज़ादी का ऐलान कर दिया, तो संयुक्त राष्ट्र उनकी स्वतंत्रता को स्वीकार कर सकता है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ''अगर बलूचिस्तान में अलगाव की लहर उठी, तो पाकिस्तान के लिए हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा.''
कुर्रम में भड़की हिंसा, 150 से ज्यादा मौतें
बताते चले कि बलूचिस्तान में अलगाव की बढ़ती मांग के बीच पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी कुर्रम क्षेत्र में हिंसा फिर से तेज़ हो गई है. यह इलाका लंबे समय से सुन्नी-शिया संघर्ष का गवाह रहा है, लेकिन नवंबर 2024 से हिंसा ने विकराल रूप ले लिया. अब तक करीब 150 लोग इस संघर्ष में मारे जा चुके हैं.
घातक हमले में 10 की मौत, कई ड्राइवर लापता
वहीं पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के काफिले पर हुए हमले में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 6 ट्रक ड्राइवरों का अपहरण कर लिया गया. यह काफिला स्थानीय व्यापारियों के लिए चावल, आटा और तेल जैसी आवश्यक वस्तुएं लेकर जा रहा था. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस काफिले में दो ऐसे वाहन भी शामिल थे जो ज़रूरी दवाएं लेकर गए थे.
बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा पर नियंत्रण खो चुका पाकिस्तान?
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (F) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने पिछले महीने कहा था कि पाकिस्तान सरकार ने खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में अपना नियंत्रण लगभग खो दिया है. उन्होंने दावा किया कि पिछले दो दशकों से लोग इन इलाकों को छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं, क्योंकि वहां रोज़गार और सुरक्षा की भारी किल्लत है.
''हम झुलसी हुई धरती पर बैठे हैं'' - मौलाना की चेतावनी
वहीं फजलुर रहमान ने कहा, ''इन इलाकों में शासन व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. हमें इस संकट का हल जल्द से जल्द निकालना होगा, वरना इसके गंभीर परिणाम होंगे.'' उन्होंने आगे कहा कि पंजाब और पाकिस्तान के अन्य हिस्से इस स्थिति की गंभीरता को समझने में असफल हैं.
खनिज संसाधनों पर बाहरी हस्तक्षेप का खतरा
इसके अलावा, मौलाना फजल-उर-रहमान ने चेताया कि यदि हालात नहीं सुधरे, तो बाहरी ताकतें इन इलाकों में हस्तक्षेप कर सकती हैं, खासकर तब जब बलूचिस्तान की ज़मीन बहुमूल्य खनिजों से भरपूर है. उन्होंने सभी हितधारकों से अपील की कि वे कोई ठोस समाधान निकालें, वरना पाकिस्तान के लिए स्थिति बेकाबू हो सकती है.
बहरहाल, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बिगड़ते हालात और अलगाव की बढ़ती मांग पाकिस्तान के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है. यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह संकट देश के टुकड़े-टुकड़े कर सकता है. पाकिस्तान पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है और यदि बलूचिस्तान में अलगाववाद भड़क उठा, तो यह उसके अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित हो सकता है.