menu-icon
India Daily

फ्रांस का चुनाव, भारत की बढ़ी टेंशन, मैक्रों की चाल कैसे उन्हीं पर पड़ी भारी, यहां समझ लीजिए

France Election: फ्रांस में रविवार को संसदीय चुनाव के पहले चरण का मतदान हुआ. यूरोपीय संसद के चुनावों में करारी हार के बाद राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां ने संसद को भंग कर दिया था और मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी. आम चुनावों में भी मैक्रां को बड़ा झटका लगा है. चुनाव से पहले जारी किए सभी एग्जिट पोल्स में धुर दक्षिणपंथी और वामपंथी दल सत्ता में आते दिखाई दे रहे हैं.

auth-image
Edited By: Shubhank Agnihotri
France Macron
Courtesy: Social Media

France Election: हाल ही में संपन्न हुए यूरोपीय संघ के चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां ने देश में मध्यावधि चुनाव कराने का फैसला किया था. उनके इस फैसले के पीछे कहा जा रहा था कि मध्यावधि चुनाव होने की वजह से धुर दक्षिणपंथी दलों को चुनावी तैयारी का मौका नहीं मिल सकेगा साथ ही यूरोपीय संसद के चुनाव में करारी हार का बदला लिया जा सकेगा, लेकिन फ्रांसीसी राष्ट्रपति का यह फैसला अब उन्हीं पर भारी पड़ गया है.

दरअसल फ्रांस में 30 जून को संसदीय चुनाव के पहले दौर का मतदान हो रहा है. इस मतदान में कहा जा रहा है कि नाजी युग के बाद पहली बार फ्रांसीसी सत्ता पर धुर दक्षिणपंथी और राष्ट्रवादी दलों का कब्जा होगा. 

फ्रांस के इस चुनाव को लेकर भारत की भी टेंशन बढ़ गई है क्योंकि इस चुनाव के बाद उसके दोस्त इमैनुअल मैक्रां की पार्टी रेनेसां की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली से विदाई हो सकती है. हालांकि इससे उनके कार्यकाल पर कोई असर नहीं पड़ेगा, वह साल 2027 तक फ्रांस के प्रेसिडेंट बने रहेंगे. 577 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली ही देश के लिए कानूनों का निर्माण करती है. 

फ्रांसीसी मतदाता क्यों हैं परेशान? 

फ्रांस में दो चरणों में हो रहे संसदीय चुनाव 7 जुलाई को संपन्न होंगे.फ्रांस के चुनाव परिणामों से यूरोपीय बाजार, यूक्रेन के लिए पश्चिमी देशों का समर्थन, वैश्विक सैन्य बल और फ्रांस के परमाणु प्रबंधन के तौर-तरीकों में काफी बदलाव की संभावना जताई जा रही है. फ्रांस के मतदाता बढ़ती महंगाई और आर्थिक चिंताओं से बेहद परेशान हैं. फ्रांसीसी लोग इमैनुअल के नेतृत्व से भी काफी नाराज हैं. मरीन ले पेन के नेतृत्व वाली धुर दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली ( RN ) ने इन मुद्दों का जमकर फायदा उठाया और इन्हें दुरुस्त करने का जनता से वादा किया है. नेशनल रैली ने इन मुद्दों को टिकटॉक जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी हवा दी है. चुनाव से पहले जारी सभी एग्जिट पोल्स में नेशनल रैली की जीत का अनुमान लगाया गया है. 

धुर दक्षिणपंथी पार्टी हासिल करेगी जीत 

फ्रांस में संसदीय चुनाव के पहले चरण की वोटिंग रविवार सुबह 8 बजे शुरू हो गई. इस चुनाव में धुर दक्षिणपंथी दल नेशनल रैली के जीतने की संभावना जताई जा रही है. फ्रांसीसी प्रेसिडेंट मैक्रां ने हाल ही में यूरोपीय संसद के चुनावों में करारी शिकस्त के बाद मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा कर दी थी. नेशनल रैली को फ्रांस में मुस्लिम विरोधी पार्टी माना जाता है. नेशनल रैली को नस्लवाद और यहूदी विरोध के लिए जाना जाता है.