menu-icon
India Daily

नेपाल में बढ़ती हिंसा के बीच पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा घटी, आग-बबूले हुए लोग

Pro-Monarchy Protest: नेपाल में राजशाही की वापसी के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं और इसी दौरान नेपाल सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो राजनीतिक माहौल को प्रभावित कर सकता है.

auth-image
Edited By: Ritu Sharma
Nepal Violence
Courtesy: Social Media

Former King of Nepal Gyanendra Shah: नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी बीच सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में कटौती कर उन्हें बड़ा झटका दिया है.

बता दें कि राजशाही समर्थकों द्वारा किए गए हिंसक प्रदर्शनों के चलते काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी (केएमसी) ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर 7,93,000 नेपाली रुपये का जुर्माना लगाया है. इस जुर्माने का कारण सार्वजनिक संपत्ति और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बताया गया है.

इतना ही नहीं, सरकार ने शाह का पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. केएमसी ने कचरा प्रबंधन अधिनियम, 2020 और मेट्रोपॉलिटन सिटी फाइनेंस एक्ट, 2021 के उल्लंघन के आधार पर यह कार्रवाई की है.

काठमांडू में हिंसा, दो की मौत और कई घायल

वहीं नेपाल की राजधानी काठमांडू के कई हिस्सों में राजशाही समर्थकों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें देखी गईं. हिंसक प्रदर्शनकारियों ने पथराव, वाहन जलाने और लूटपाट जैसी घटनाओं को अंजाम दिया. इस हिंसा में एक टीवी कैमरामैन समेत दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 110 से अधिक लोग घायल हो गए.

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर बढ़ी आलोचना

बताते चले कि नेपाल में नागरिक समाज के नेताओं ने ज्ञानेंद्र शाह की राजनीतिक सक्रियता पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, ''ज्ञानेंद्र शाह का राजनीति में उतरना उनके पूर्वजों के प्रयासों को विफल करता है और देश को कमजोर करने का खतरा पैदा करता है.''

बहरहाल, नेपाल में 240 साल पुरानी राजशाही 2008 में समाप्त कर दी गई थी. लेकिन फरवरी में लोकतंत्र दिवस के बाद से राजशाही समर्थक फिर सक्रिय हो गए हैं. पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने कहा था, ''समय आ गया है कि हम देश की रक्षा करें और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करें.'' इसके बाद, नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग तेज हो गई है.