menu-icon
India Daily

Explainer: ईरान के निशाने पर आए पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश अल-अद्ल के बारे में जानें सबकुछ

साल 2000 में इस्लामिक गणराज्य के खिलाफ एक हिंसक विद्रोह में ये संगठन शामिल हुआ था. साल 2010 में स्थिति बदली तो ईरान ने जिंद-उल्लाह के नेता अब्दोलमलेक रिगी को मार डाला.

auth-image
Edited By: Naresh Chaudhary
Jaish al-Adl, Pakistani terrorist organization, Pakistani terrorist, Iran Pakistan conflict, Pakista

हाइलाइट्स

  • पाकिस्तान और ईरान की सीमा पर काफी वारदातों में शामिल रहा है ये संगठन
  • अक्टूबर 2013 में जैश अल-अद्ल ने पाक सीमा पर 14 ईरानी गार्ड्स को मार डाला था

What is Jaish al-Adl? आज पूरी दुनिया में इस बात की चर्चा है कि ईरान ने पाकिस्तान में स्ट्राइक की है, जिसमें दो बच्चे मारे गई है. उधर इस हमले के बाद बड़ी तेजी से एक नाम सामने आ रहा है. वो नाम है आतंकी संगठन जैश अल-अद्ल का. बताया जाता है कि ईरान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय सुन्नी चरमपंथी समूह जैश अल-अद्ल का प्रभाव काफी बढ़ रहा है. यहां इसकी जड़ों, गतिविधियों और चल रही भू-राजनीतिक गतिशीलता को काफी बढ़ाया है. 

जिंद-उल्लाह का जन्म

जैश अल-अद्ल को अरबी में न्याय की सेना के रूप में जाना जाता है, जिसे लोग जिंद-उल्लाह या ईश्वर के सैनिकों का उत्तराधिकारी भी माना जाता है. बताया जाता है कि साल 2000 में इस्लामिक गणराज्य के खिलाफ एक हिंसक विद्रोह में ये संगठन शामिल हुआ था. 2010 में स्थिति बदल गई जब ईरान ने जिंद-उल्लाह के नेता अब्दोलमलेक रिगी को मार डाला. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि अब्दोलमलेक रिगी का पकड़ा जाना एक नाटकीय घटनाक्रम था. जब वे दुबई से किर्गिस्तान जा रही एक फ्लाइट में थे. 

जैश अल-अद्ल का गठन

सीरिया में बशर अल-असद के लिए ईरान समर्थन के मुखर विरोधी आतंकवादी सलाहुद्दीन फारूकी ने साल 2012 में स्थापित की थी. जैश अल-अद्ल सिस्तान-बलूचिस्तान और पाकिस्तान में ठिकानों से संचालित होता है. इस संगठन को जातीय बलूच जनजातियों से समर्थन प्राप्त है. विशेष रूप से शिया-प्रभुत्व वाले ईरान में भेदभाव का सामना करने वाले अल्पसंख्यक सुन्नी मुसलमानों के असंतोष को भी ये चिह्नित करता है. 

ईरान पर बमबारी, घात लगाकर हमले  

जैश अल-अद्ल ने किडनैप के साथ-साथ कई बमबारी और ईरानी सुरक्षा बलों पर हमलों की जिम्मेदारी ली है. ईरान इस संगठन को जैश अल-जोलम का नाम देता है, जिसका अर्थ अरबी में अन्याय की सेना है. इस संगठन पर संयुक्त राज्य अमेरिका, इजराइल, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से समर्थन प्राप्त करने का भी आरोप लगाता है.

अक्टूबर 2013 में जैश अल-अद्ल ने घात लगाकर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान सीमा के पास 14 ईरानी गार्ड्स की मौत हुई थी. संगठन ने सीरिया में रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की भागीदारी की प्रतिक्रिया के रूप में अपने कामों को सही ठहराया था. ईरान ने सीमावर्ती शहर मिर्जावेह के पास फांसी और झड़पों के साथ जवाबी कार्रवाई की थी. फरवरी 2014 में पांच ईरानी सैनिकों के अपहरण ने ईरान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा दिया, जिससे तेहरान को सीमा पार छापेमारी पर काम करना पड़ा.

जैश अल-अद्ल का कौन करता है नेतृत्व?

जैश अल-अद्ल साल 2012 में एक जातीय बलूच सुन्नी समूह के रूप में उभर कर सामने आया था. इसे लिस्टेड आतंकवादी संगठन जिंद-उल्लाह की शाखा के रूप में देखा जाता है. यह संगठन बशर अल-असद को शिया ईरानी सरकार के समर्थन का विरोध करता है. प्रमुख नेताओं में सलाहुद्दीन फारूकी और मुल्ला उमर शामिल हैं, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में संगठन के शिविरों की कमान संभालते हैं. 

जिंद-उल्लाह प्रमुख अब्दोलमलेक रिगी का चचेरा भाई अब्दुल सलाम रिगी, जैश अल-अद्ल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. जैश अल-अद्ल के आसपास के इतिहास, हिंसा और भूराजनीतिक तनाव का जाल ईरान-पाकिस्तान सीमा पर स्थिति की जटिलता को दिखाता है.