Eagles Avoiding Ukraine: इंसान तो इंसान... अब चील भी युद्ध से जूझ रहे यूक्रेन जाने से बच रहे हैं. मार्च और अप्रैल के बीच चील साउथ यूरोप और ईस्ट अफ्रीका के अपने शीतकालीन क्षेत्रों को छोड़ देता है और उत्तर की ओर बेलारूस के महत्वपूर्ण प्रजनन स्थलों की ओर चला जाता है. सामान्य मार्ग सीधे यूक्रेन से होकर जाता है, लेकिन ट्रैकिंग डेटा से पता चलता है कि चील इन दिनों यूक्रेन जाने से बच रहे हैं. स्पेशलिस्ट्स के मुताबिक, प्रवासी चील युद्ध से जूझ रहे यूक्रेन के ऊपर से उड़ान भरने से बच रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें उनकी प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है.
ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय (EUA) और ब्रिटिश ट्रस्ट फॉर ऑर्निथोलॉजी (BTO) के स्पेशलिस्ट्स ने 19 पक्षियों पर स्टडी की और पाया कि मादा चील युद्ध से पहले 193 घंटे की तुलना में यूक्रेन के आसामानों में 246 घंटे बिताती थी.
स्टडी से सामने आया है कि युद्ध से जूझ रहे यूक्रेन जाने वाले प्रवासी परिंदों के पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है. EUA के इन्वायर्मेंट साइंस स्कूल में पोस्टग्रेजुएट की रिसर्चर डॉक्टर चार्ली रसेल ने कहा कि हमने इन परिदों को ट्रैक करने के बारे में कभी नहीं सोचा था, लेकिन इनके पलायन ने हमें स्टडी पर मजबूर किया. उन्होंने कहा कि हम स्टडी के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि आखिर किस तरह से रूस-यूक्रेन युद्ध परिदों को प्रभावित कर रहा है. स्टडी के जरिए युद्ध जैसी गतिविधियों या घटनाओं के बारे में हमारी समझ में सुधार करती है, जिसका पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है.
ईगल, अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature) की ओर से संकटग्रस्त प्रजातियों की लिस्ट में शामिल हैं. कहा जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने से पहले ही स्टडी करने वाली टीम ईगल पर रिसर्च में जुटी थी. टीम खराब मौसम या सूखे के कारण प्रवासी मार्गों में होने वाली दिक्कतों और उनके घरौंदों के विनाश पर नजर रख रही थी. हालांकि, जब जंग शुरू हो गई तो कुछ ईगल जिनमें ट्रैकिंग डिवाइस लगे थे, उन्हें तोपखाने की आग, जेट, टैंक और अन्य हथियारों के साथ-साथ अभूतपूर्व संख्या में सैनिकों के आवागमन और लाखों नागरिकों के विस्थापन के बाद संकट का सामना करते हुए देखा गया.
स्टडी करने वाली टीम ने पाया कि चील अपने पारंपरिक प्रवासी मार्गों से बड़े पैमाने पर हट रहे थे. टीम ने यह भी पाया कि अपने प्रजनन स्थलों पर लौटने से पहले चील यूक्रेन में कम ही रुके. आंकड़ों के मुताबिक, 19 में से केवल छह (30 प्रतिशत) परिंदे ही यूक्रेन में रुके, जबकि 2018-2021 में ये संख्या 20 में से 18 यानी 90 प्रतिशत थी.
प्रवासी पक्षियों के लिए उनकी लंबी यात्रा के दौरान खाना, पानी और आश्रय पाने के लिए स्टॉपओवर स्थल आवश्यक स्थान हैं. उदाहरण के लिए यूक्रेनी पोलेशिया में कुछ महत्वपूर्ण स्टॉपओवर साइटों का 2022 में बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया गया. स्टॉपओवर पर नहीं रूकने वाली चीलों ने लंबी दूरी तक यात्रा करना शुरू कर दिया और घोंसलों तक उनके पहुंचने का समय भी अधिक होने लगा. विशेषज्ञों को डर है कि इन परिवर्तनों के कारण चीलों के शारीरिक फिटनेस में कमी आएगी, वो भी ऐसे समय में जब सफल प्रजनन के लिए चील लंबी दूरी तय कर यूक्रेन पहुंचते थे.