China Chang’e-6 moon mission : चीन ने बीते शुक्रवार को अपना मून मिशन चांग ई 6 लॉन्च किया था. अगर ची का ये मिशन सक्सेफुल होता है तो वह दुनिया का ऐसा पहला देश बन जाएगा जो चांद के उस हिस्से में पहुंचकर डाटा एकत्रित करने में कामयाब होगा जिस हिस्से को दुनिया आज तक देख नहीं पाई है.
चांद के साउथ पोल एटकेन बेसिन पर किस भी देश के मिशन का पहुंचना मानव जीवन के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं होगा. यहां से चीन डाटा एकत्रित करके चांद के बारे में कई रहस्यों से पर्दा खोल सकता है. साउथ पोल-एटकेन बेसिन चांद का तीसरा सबसे बड़ा जमीनी हिस्सा है. इस हिस्से की अपनी एक अलग ही साइंटिफिक वैल्यू है.
चांद का मिशन चांग ई सिक्स को साउथ पोल-एटकेन बेसिन पर पहुंचने में 53 दिनों का समय लग सकता है. यहां पहुंचकर यह 2 किलो मिट्टी एकत्रित करेगा. नासा ने इस हिस्से को अंतरिक्ष की सबेस पुरानी जगहों में से एक बताया है. इस प्रोजेक्ट को चीनी चंद्रमा देवी का नाम दिया गया है. चीन ने लक्ष्य रखा है कि वह साल 2030 तक चांद पर इंसानों को भेजेगा.
चीनी मिशन चांग ई सिक्स में चार हिस्से हैं. ऑर्बिटर, एसेंडर, लैंडर और चौथा रिटर्नर. पहला हिस्सा ऑर्बिटर अन्य तीन को चांद तक ले जाएगा. लैंडर वो हिस्सा जो चांद के साउथ पोल-एटकेन बेसिन पर लैंड करेगा. तीसरा हिस्सा एसेंडर चांद की सतह से सैंपल एकत्रित करके ऑर्बिटर तक पहुंचाएगा और चौथा हिस्सा रिटर्नर ये सैंपल लेकर वापस पृथ्वी पर आएगा.
चीन ने अपने इस मिशन के ऑर्बिटर में पाकिस्तान को शामिल किया है. यानी पाकिस्तान कह सकता है कि वह भी चांद पर पहुंच सकता है. चीनी मिशन के कामयाब होने के बाद पाकिस्तान खुद को चांद पर पहुंचने वाला देश कह सकता है.
चीन का यह अगर सफल होता है तो चांद के अननोन रहस्यों से पर्दा उठेगा. यह मिशन 2 किलो के वजन का सैंपल चांद से लेकर वापस पृथ्वी पर आएगा.
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने भी एक से एक बड़ी उपलब्धियां हासिल की है. हालांकि, अभी हम चीन से बहुत पीछे हैं. थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 तक स्पेस में चीन की 13.6 फीसदी हिस्सेदारी रही है. वहीं भारत की 2.3 फीसदी ही ही है.