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'ये बर्दाश्त नहीं करेंगे', ग्रीनलैंड पर कब्जा करने को उतारू डोनाल्ड ट्रंप को यूरोपीय संघ ने दी कड़ी चेतावनी

डोनाल्ड ट्रंप ने ने हाल ही में कहा कि वह ग्रीनलैंड और पनामा नहर को कब्जाने के लिए सैन्य और आर्थिक बल का प्रयोग करने से भी इंकार नहीं करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को इन क्षेत्रों की आवश्यकता है और यह उनकी आर्थिक सुरक्षा के लिए जरूरी हैं.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
European Union gives strict warning to Donald Trump who is bent on occupying Greenland

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए हाल ही में ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर कब्जा करने की अपनी इच्छा को फिर से दोहराया. हालांकि, उनके इस बयान के बाद यूरोपीय संघ और विशेष रूप से डेनमार्क ने इसे सख्ती से नकारते हुए ट्रंप को चेतावनी दी कि वे किसी भी प्रकार के सैन्य या आर्थिक दबाव को बर्दाश्त नहीं करेंगे. यूरोपीय संघ ने ट्रंप से कहा कि वे यूरोपीय देशों की संप्रभु सीमाओं के प्रति सम्मान दिखाएं और किसी भी प्रकार की धमकी देने से बचें.

ट्रंप का ग्रीनलैंड पर कब्जा करने का प्रस्ताव

डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड, जो डेनमार्क का एक स्वायत्त क्षेत्र है, और पनामा नहर के महत्व को लेकर पहले भी कई बार बयान दिए थे. उनका कहना था कि ये दोनों स्थान अमेरिकी आर्थिक सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं. ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि वह इन दोनों स्थानों को कब्जाने के लिए सैन्य और आर्थिक बल का प्रयोग करने से भी इंकार नहीं करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को इन क्षेत्रों की आवश्यकता है और यह उनकी आर्थिक सुरक्षा के लिए जरूरी हैं. हालांकि, डेनमार्क और पनामा ने किसी भी प्रकार के नियंत्रण हस्तांतरण की संभावना को सख्त शब्दों में नकारा किया.

यूरोपीय संघ की कड़ी प्रतिक्रिया
यूरोपीय संघ ने ट्रंप के इस प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. फ्रांस ने चेतावनी दी है कि यूरोपीय संघ किसी भी स्थिति में अपनी संप्रभु सीमाओं पर किसी प्रकार का खतरा नहीं सहन करेगा. फ्रांसीसी अधिकारियों ने कहा कि ट्रंप को यह समझना चाहिए कि यूरोपीय देशों की सीमाओं को लेकर किसी भी प्रकार का आक्रमण या धमकी पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

यूरोपीय संघ ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि ग्रीनलैंड और पनामा नहर जैसे क्षेत्रों पर कब्जा करने की किसी भी कोशिश को पूरी तरह से नकारा जाएगा. उन्होंने ट्रंप से अपेक्षाः की कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभुता के सिद्धांतों का सम्मान करें.

डेनमार्क का विरोध
डेनमार्क, जो ग्रीनलैंड का स्वायत्त शासक है, ने भी ट्रंप के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है. डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने ट्रंप के ग्रीनलैंड को बेचने के प्रस्ताव को "गंभीर रूप से असम्मानजनक" बताया. उन्होंने कहा कि ग्रीनलैंड "बिकाऊ" नहीं है और यह उसके निवासियों का अधिकार है कि वे अपने भविष्य का निर्धारण करें. ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री मुटे एगेड ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया और कहा कि ग्रीनलैंड का भविष्य केवल ग्रीनलैंड के लोगों का है, और किसी बाहरी देश को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और वैश्विक दृष्टिकोण
इस विवाद ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ लिया है. जबकि ट्रंप की बयानबाजी ने दुनिया भर में चिंता पैदा की है, यूरोपीय संघ और डेनमार्क का विरोध यह दर्शाता है कि किसी भी देश को अपनी संप्रभुता और सीमा पर समझौता करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के इस तरह के बयान वैश्विक स्थिरता और शांति को प्रभावित कर सकते हैं. उनके बयान एक प्रकार से अमेरिकी साम्राज्यवादी दृष्टिकोण को उजागर करते हैं, जिसका विश्व समुदाय के कई देशों ने विरोध किया है.