जिस जॉर्ज सोरोस को लेकर भारत की राजनीति में होता है बवाल, बाइडेन ने उसे दे दिया अमेरिका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, एलन मस्क भड़के

यह पहली बार नहीं है जब एलन मस्क ने जॉर्ज सोरोस पर टिप्पणी की हो. 2023 में, मस्क ने सोरोस को "मानवता से नफरत करने वाला" करार देते हुए कहा था कि उनका उद्देश्य "सभ्यता की नींव को खत्म करना" है.

टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा जॉर्ज सोरोस को प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम देने के फैसले पर नाराजगी जताई. मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसे एक "त्रासदी" करार देते हुए कहा, "यह एक त्रासदी है कि बाइडन सोरोस को मेडल ऑफ फ्रीडम दे रहे हैं." मस्क का यह बयान सोरोस की भूमिका और उनके द्वारा किए गए कार्यों को लेकर चल रही बहस का हिस्सा है.

19 लोगों को दिया गया प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम
प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम, अमेरिका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जिसे हर साल ऐसे व्यक्तित्वों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया हो. इस वर्ष, 19 लोगों को यह पुरस्कार दिया गया, जिनमें राजनीति, खेल, मनोरंजन, नागरिक अधिकार, LGBTQ+ आंदोलन, और विज्ञान के क्षेत्र से प्रमुख नाम शामिल थे. जॉर्ज सोरोस, जो एक प्रमुख निवेशक और ओपन सोसाइटी फाउंडेशन्स के संस्थापक हैं, को यह सम्मान उनके "वैश्विक पहलों के लिए" दिया गया, जिनका उद्देश्य "लोकतंत्र, मानवाधिकार, शिक्षा और सामाजिक न्याय को मजबूत करना" है.

एलन मस्क और सोरोस के बीच का विवाद
यह पहली बार नहीं है जब एलन मस्क ने जॉर्ज सोरोस पर टिप्पणी की हो. 2023 में, मस्क ने सोरोस को "मानवता से नफरत करने वाला" करार देते हुए कहा था कि उनका उद्देश्य "सभ्यता की नींव को खत्म करना" है. मस्क ने सोरोस को एक काल्पनिक चरित्र मैग्नेटो से भी तुलना की, जो द्वितीय विश्व युद्ध में एक यहूदी सर्वाइवर था और जो अपने विचारों के लिए विवादास्पद था. मस्क ने कहा, "सोरोस मुझे मैग्नेटो जैसा लगता है," जो एक सशक्त और विवादित दृष्टिकोण रखने वाला पात्र था.

जॉर्ज सोरोस का विवादास्पद इतिहास
जॉर्ज सोरोस का जीवन और कार्य विवादों से भरा रहा है. 1930 में जन्मे सोरोस को नाजी-आक्रमणित हंगरी में एक यहूदी किशोर के रूप में छुपकर जीवन व्यतीत करना पड़ा था. दशकों बाद, सोरोस ने अपनी संपत्ति बनाई और उसे ओपन सोसाइटी फाउंडेशन्स की स्थापना के लिए इस्तेमाल किया, जिसका उद्देश्य वैश्विक लोकतांत्रिक मूल्यों, मानवाधिकारों और सामाजिक कारणों को बढ़ावा देना था.

हालांकि, सोरोस की वैश्विक राजनीति में भागीदारी और वित्तीय गतिविधियां उन्हें एक विभाजनकारी व्यक्तित्व बना देती हैं. उन्हें अक्सर वैश्विक शासन परिवर्तन, अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर करने, और आंदोलन जैसे "अरेबियन स्प्रिंग" को वित्तपोषित करने के आरोपों का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा, 1997 एशियाई वित्तीय संकट में उनकी भूमिका को लेकर भी उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.

भारत में सोरोस का विवाद
हाल ही में, जॉर्ज सोरोस का नाम भारत में भी चर्चा का विषय बना. 2023 में, एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके ओपन सोसाइटी फाउंडेशन्स को एक प्रमुख भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग संस्था द्वारा वित्तीय योगदान के रूप में दान दिया गया था, जिसके बाद आरोप लगाए गए कि सोरोस ने भारत के अडाणी समूह के खिलाफ अभियान चलाया. इस पर भारतीय राजनीति में तीखी प्रतिक्रियाएं आईं. बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने सोरोस की आलोचना करते हुए कहा कि वे भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं और अपनी निजी लाभ के लिए सरकार को अपने नियंत्रण में लाने का प्रयास कर रहे हैं.