Canada Elections 2025: कनाडा के हालिया संघीय चुनाव में लिबरल पार्टी ने जो ऐतिहासिक जीत दर्ज की है, उसका श्रेय कहीं न कहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति और उनकी राष्ट्रवादी बयानबाज़ी को जाता है. मार्क कार्नी की अगुवाई में लिबरल्स ने वो वापसी की है जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. कनाडा के मतदाताओं ने घरेलू मुद्दों से ज़्यादा ध्यान अमेरिका की आक्रामकता और संप्रभुता के सवालों पर केंद्रित किया, जिससे चुनाव राष्ट्रीय अस्मिता की लड़ाई में बदल गया.
'दिसंबर में हम दफन थे, अब सरकार बनाएंगे'
बता दें कि लिबरल पार्टी के पूर्व न्याय मंत्री डेविड लेमेटी ने चुनावी परिणामों के बाद कहा, ''दिसंबर में हम मर चुके थे और दफन हो चुके थे. अब हम सरकार बनाने जा रहे हैं.'' यह बयान बताता है कि पार्टी की वापसी कितनी चौंकाने वाली रही है. कई महीनों पहले तक जिस पार्टी को लोग खारिज कर चुके थे, वही अब संसद में सबसे अधिक सीटें जीतने जा रही है. हालांकि यह साफ नहीं है कि लिबरल्स पूर्ण बहुमत से सरकार बना पाएंगे या नहीं.
ट्रंप की '51वां राज्य' टिप्पणी ने बढ़ाई कनाडाई नाराजगी
वहीं ट्रंप की ओर से कनाडा को '51वां अमेरिकी राज्य' बताने की बातचीत और टैरिफ थोपने की धमकियों ने कनाडाई नागरिकों में गुस्से की लहर पैदा कर दी. यह चुनाव ठीक वैसा ही मोड़ ले गया जैसा 1988 में हुआ था, जब अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड पर बहस छिड़ी थी. फर्क सिर्फ इतना था कि इस बार मुद्दा एकीकरण नहीं, बल्कि अमेरिका से दूरी बनाए रखने का था.
'उसे भुगतान करना चाहिए' - ट्रंप ने कंजरवेटिव्स का खेल बिगाड़ा
इसको लेकर इतिहासकार रॉबर्ट बोथवेल ने इसे संक्षेप में ऐसे बताया, ''उदारवादियों को उसे भुगतान करना चाहिए. ट्रंप की बातें कंजर्वेटिव्स के लिए अच्छी नहीं हैं.'' ट्रंप की हरकतों ने कंजरवेटिव पार्टी के नेता पियरे पोलीवरे की चुनावी रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया.
कनाडा की राजनीति में विदेश नीति की बढ़ती भूमिका
बहरहाल, यह चुनाव दिखाता है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दे खासकर संप्रभुता जैसे मसले घरेलू राजनीति को पूरी तरह बदल सकते हैं. लिबरल पार्टी के चार सीधे कार्यकाल और ट्रंप के अप्रत्याशित बयानों ने मिलकर कनाडा की सियासी दिशा को एक नया मोड़ दिया है.