Australia Elections: ऑस्ट्रेलिया में संघीय चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने 3 मई को वोटिंग कराने की घोषणा की. इस ऐलान के साथ ही देश में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. चुनाव की तारीख तय होने के बाद अल्बनीज़ ने गवर्नर-जनरल सैम मोस्टिन से मुलाकात कर संसद को भंग करने की औपचारिक प्रक्रिया पूरी की.
लेबर पार्टी की रणनीति और अल्बनीज का दांव
लेबर पार्टी के नेता अल्बनीज ने मतदाताओं से अपनी पार्टी को फिर से सत्ता में लाने की अपील की है. उन्होंने अपने चुनावी एजेंडे में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, कर कटौती लागू करने, स्वास्थ्य नीति को मजबूत करने और 'फ्यूचर मेड इन ऑस्ट्रेलिया' योजना को प्राथमिकता देने की बात कही है.
बता दें कि फिलहाल लेबर पार्टी के पास 78 सीटें हैं, जो बहुमत से सिर्फ दो सीट ज्यादा है. हालांकि, हाल के ओपिनियन पोल त्रिशंकु संसद की ओर इशारा कर रहे हैं. बावजूद इसके, अल्बनीज़ को पूरा भरोसा है कि उनकी सरकार बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी.
#ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री #एंथनी_अल्बनीज़ ने देश में 3 मई को आम चुनाव कराने की घोषणा की।
— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) March 28, 2025
प्रधानमंत्री ने गवर्नर-जनरल सैम मोस्टिन से भेंट के बाद यह घोषणा की। उन्होंने अगले कार्यकाल के लिए बहुत से वादे करते हुए मतदाताओं से वोट देने का आग्रह किया।pic.twitter.com/AvLLYcvkyG
पीटर डटन की तैयारी, विपक्ष ने कसी कमर
बताते चले कि 2022 के चुनाव में स्कॉट मॉरिसन की हार के बाद, विपक्ष के नेता पीटर डटन इस बार गठबंधन सरकार को सत्ता में लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान पेट्रोल टैक्स में कटौती का वादा किया है, जिससे मोटर चालकों को राहत मिलने की उम्मीद है.
डटन ने 'ऑस्ट्रेलिया को वापस पटरी पर लाने' के लिए 12-सूत्रीय योजना पेश की है, जिसमें -
अल्बनीज को बताया 'कमजोर पीएम'
डटन ने प्रधानमंत्री अल्बनीज की नीतियों पर सीधा हमला बोलते हुए उन्हें कमजोर नेता करार दिया. उन्होंने अल्बनीज पर यहूदी-विरोधी नीतियों और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने झुकने का आरोप लगाया है.
कौन बनेगा ऑस्ट्रेलिया का अगला प्रधानमंत्री?
इस बार का ऑस्ट्रेलियाई चुनाव काफी रोमांचक होने वाला है. एक तरफ लेबर पार्टी सत्ता बचाने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे छीनने की रणनीति बना रहा है. आने वाले हफ्तों में देश की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं.