भारत के पुराने दोस्त से अब चीन बढ़ा रहा नजदीकियां, विदेश मंत्री जयशंकर की ईरान यात्रा के क्या हैं मायने?

Jaishankar Visit To Iran:अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद ईरान से भारत ने जहां कम तेल खरीदा वहीं चीन ने अपनी जरूरत का तेल खरीदना ईरान से जारी रखा.अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करने की यह चीनी तरकीब उसे ईरान के करीब लाने में मददगार साबित हुई है.

Jaishankar Visit To Iran: भारत के पुराने दोस्तों में शामिल और कई परियोजनाओं में सहयोगी  ईरान से चीन की हाल के समय में काफी नजदीकियां बढ़ी हैं. इसका एक कारण चीन की ईरान से तेल खरीदी है. बीजिंग ने हाल ही में  ईरान से तेल खरीदी को भी तीन गुना तक कर दिया है. वहीं,  भारत की खरीद कम हो गई है. अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद ईरान से भारत ने जहां कम तेल खरीदा वहीं चीन ने अपनी जरूरत का तेल खरीदना ईरान से जारी रखा. अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करने की यह चीनी तरकीब उसे ईरान के करीब लाने में मददगार साबित हुई है.

ऐसे में चीन का ईरान में बढ़ता दखल भारतीय हितों के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है. इसी मसले को ध्यान में रखते हुए भारत ने अपने पुराने दोस्त को अपने पाले में करने के लिए कोशिशों को तेज कर दिया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिवसीय ईरानी दौरे पर हैं. इस दौरान वह दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों, इजरायल युद्ध, मध्य-पूर्व के तनावपूर्ण हालात सहित कई मसलों पर चर्चा करेंगे. 

ईरान से तेल खरीदने में चीन अव्वल 

विदेश मंत्री एस जयशंकर और ईरानी विदेश मंत्री हुसैन-अब्दुल्लाहियान इन मसलों पर वार्ता करेंगे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत ने कुछ समय से ईरान से तेल खरीदी कम कर दी है. वहीं, चीन उसका सबसे बड़ा ग्राहक बन गया है. साल 2020 से लेकर साल 2023 तक चीन द्वारा ईरान से तेल खरीद को तीन गुना तक ज्यादा बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा अक्टूबर में शुरु हुए इजरायल हमास युद्ध में भारत और ईरान दोनों देश अलग पाले में दिखाई दे रहे हैं. इस मसले पर चीन का रुख ईरान से मेल खा रहा है. यह ऐसा मसला है जिस पर विदेश मंत्री के द्वारा ईरानी समकक्ष के सामने बातचीत की जा सकती है.

 

परियोजनाओं के विकास पर होगी बातचीत 

दोनों नेताओं के बीच होने वाली वार्ता में चाबहार बंदरगाह के विकास पर भी बातचीत होगी. यह बंदरगाह दोनों देशों के लिए कारोबारी नजरिए से एक बड़ा सेतु है. इसके माध्यम से ईरान और भारत को अफगानिस्तान तक पहुंचने में मदद मिलती है. इसके अलावा इस परियोजना की प्रगति 7200 मीटर लंबे उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट गलियारे के लिए भी बेहद अहम है. इस गलियारे के माध्यम से ईरान, अरमेनिया, अफगानिस्तान, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया तक भारत सीधा जुड़ जाता है. इसका गेटवे चाबहार पोर्ट ही है. इस कारण इस प्रोजेक्ट में तेजी लाना जरूरी है. 

व्यापारिक जहाजों को न पहुंचे नुकसान 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दोनों नेता हाल ही में लाल सागर में बढ़े हूतियों के उपद्रव पर भी बातचीत कर सकते हैं. हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है. ऐसे में भारत की मंशा होगी कि सागर में उसके व्यापारिक जहाजों को किसी प्रकार का कोई नुकसान न पहुंचे. हाल ही में यमन में हूतियों के ठिकानों पर अमेरिका और ब्रिटेन ने हमले किए थे. इन हमलों को देखते हुए भारत ने अपने युद्धक जहाजों को बड़ी संख्या में अरब और हिंद महासागर में तैनात कर दिया है.