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Donkey For Beauty: खूबसूरती का शिकार हो रहे 'गधे', तेजी से घट रही है 'मेहनती पशु' की आबादी

Donkey For Beauty: पाकिस्तान समेत कई देशों में गधों की आबादी के लिए खतरा खड़ा हो गया है. हमेशा शांत रहने के साथ लगातार मेहनत करने वाला गधा अब इंटरनेशनल डिमांड बन गया है, जो इनके लिए अच्छी खबर नहीं है.

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Edited By: India Daily Live
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Donkey For Beauty: इस दुनिया का सबसे मेहनती पशु सिर्फ और सिर्फ गधा है. जितना चाहो वजन लाद दो, जहां चाहो वहां मोड़ दो, गधा कभी आनाकानी नहीं करता. इसके अलावा गधे की सबसे खास बात उसका सरल स्वभाव है. लेकिन अब एक ऐसी खबर सामने आ रही है जिससे इनकी आबादी पर संकट के बादल छा गए हैं. रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि एक खास दवाई बनाने के लिए हर साल लाखों की संख्या में गधे मारे जा रहे हैं, क्योंकि उनकी खाल (स्किन) से दवाई के लिए जरूरी जिलेटिन पाया जाता है. 

सदियों से खासतौर पर महिलाएं खूबसूरत बनने के लिए हजारों जतन करती हैं. तरह-तरह के उपाए करती हैं. ऐसे में चीन से एक बड़ी खबर सामने आई है. खूबसूरती बढ़ाने के लिए इस्तेमाल दवाई एजियाओ की बढ़ती मांग चीन में गधों की आबादी कम करने का काम कर रही है. इसका कारण अवैध वैश्विक त्वचा व्यापार यानी खूबसूरती के कारोबार से जुड़ा हुआ है. 

गधे
 

गधे की खाल में पाया जाता है खास जिलेटिन

एजियाओ (उच्चारण उह-जी-ओउ), जिसे 'कोला कोरी असिनी' या 'गधा-छिपी गोंद' भी कहा जाता है. चीन में इसका इस्तेमाल पारंपरिक उपचार के रूप में किया जाता है. ये दवाई गधे की खाल से निकाले गए कोलेजन से बनाई जाती है.  ब्यूटी प्रोडक्ट्स के रूप में साबुन, गोलियां या फिर कोई लिक्विड बनाने के लिए कोलेजन को जड़ी-बूटियों और अन्य सामग्रियों के साथ मिलाया जाता है.

एजियाओ उद्योग ने पिछले कुछ दशक में बेतहाशा वृद्धि की है. एक रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2013 और 2016 के बीच एजियाओ का साला उत्पादन 3,200 से बढ़कर 5,600 टन हो गया है, जो कि 20% से ज्यादा की वार्षिक वृद्धि है. इंडस्ट्री रिपोर्ट्स से पता चलता है कि साल 2016 और 2021 के बीच एजियाओ का उत्पादन 160 प्रतिशत बढ़ा है. दावा किया जा रहा है कि यदि इसका उत्पादन इसी रूप में जारी रहा तो साल 2027 तक इसमें 200 प्रतिशत की वृद्धि होगी.

गधे
 

5.9 मिलियन गधों की हर साल होगी जरूरत

द डंकी सेंच्यूरी की रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान है कि एजियाओ उद्योग को ताजा मांग के आंकड़ों को बनाए रखने के लिए अब कम से कम 5.9 मिलियन गधों की खाल की जरूरत है. एजियाओ उद्योग अब गधे की खाल के वैश्विक व्यापार पर निर्भर है, जो इस मेहनती पशु के लिए आपातकाल की स्थिति पैदा कर रहा है. 

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि केन्याई बूचड़खानों में बड़े स्तर पर गधों का कत्लेआम किया जा रहा है. गधे कष्ट झेल रहे हैं और उनकी आबादी खत्म हो रही है. इसके साथ ही स्वास्थ्य और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जोखिम की खबरें सामने आ सकती हैं. दावा किया गया है कि ये वैश्विक कारोबार लाखों गधों और उन पर निर्भर लोगों के लिए कठिनाई भरा दौर  लेकर आया है. 

गधे
 

तंजानिया और आइवरी कोस्ट जैसे देशों ने लगा दिया है प्रतिबंध

उधर बीबीसी की एक रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि की गई है. कहा गया है कि चीन में गधे की खाल में मौजूद जिलेटिन (एजियाओ) से बने पारंपरिक औषधीय उपचार की काफी मांग है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तंजानिया और आइवरी कोस्ट समेत कई देशों ने साल 2022 में गधे की हत्या और खाल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन चीन का पड़ोसी देश पाकिस्तान इस व्यापार को लगातार कर रहा है. 

पिछले साल के अंत में मीडिया रिपोर्टों में पाकिस्तान के पहले आधिकारिक गधा प्रजनन फार्म में बेहतीन नस्लों के गधे पालने का दावा किया गया था. बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में सिडनी विश्वविद्यालय के चीन-अफ्रीका संबंधों के जानकार प्रोफेसर लॉरेन जॉनस्टन के हवाले से कहा है कि चीन में एजियाओ बाजार का मूल्य 2013 में लगभग $3.2 बिलियन (£2.5 बिलियन) से बढ़कर 2020 में लगभग $7.8 बिलियन हो गया है.