अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक चौंकाने वाला ऐलान किया है. इसके तहत, रूस-यूक्रेन युद्ध से भागकर अमेरिका में शरण लेने वाले करीब ढाई लाख यूक्रेनियों का अस्थायी कानूनी दर्जा खत्म करने की योजना है. यह कदम अप्रैल 2025 से लागू हो सकता है, जिसके बाद इन लोगों को तेजी से देश से निकाला जा सकता है. यह फैसला उस स्वागत के बिल्कुल उलट है, जो पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में यूक्रेनियों को मिला था.
रूस के करीब आने की नीति का असर
अमेरिका में कितने यूक्रेनवासी?
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद, अमेरिका ने यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए थे. मार्च 2022 में, अमेरिका ने पहले से देश में रह रहे लगभग 30,000 यूक्रेनियों को अस्थायी संरक्षित स्थिति (TPS) दी थी. अक्टूबर 2024 तक की रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका और कनाडा मिलकर करीब 4 लाख यूक्रेनियों की मेजबानी कर रहे हैं. इसमें से ढाई लाख के करीब यूक्रेनवासी अमेरिका में अस्थायी राहत के तहत आए थे.
सभी पैरोल कार्यक्रम खत्म करने का आदेश
20 जनवरी 2025 को ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें homeland security department (DHS) को सभी सामूहिक पैरोल कार्यक्रमों को खत्म करने का निर्देश दिया गया. इसके तहत न सिर्फ यूक्रेनियों, बल्कि क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला से आए लगभग 5.3 लाख लोगों का पैरोल भी इसी महीने रद्द करने की योजना है. एक ट्रंप अधिकारी और एक अन्य सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी.
तेजी से निष्कासन की प्रक्रिया
अमेरिकी Immigration and Customs Enforcement (ICE) के एक ईमेल के अनुसार, जो रॉयटर्स ने देखा, अवैध रूप से सीमा पार करने वाले प्रवासियों को उनके प्रवेश के दो साल तक तेजी से निष्कासित किया जा सकता है. लेकिन जिन लोगों ने कानूनी प्रवेश बिंदुओं से पैरोल के तहत देश में प्रवेश किया, उनके लिए यह समय सीमा लागू नहीं होती. यानी, ऐसे लोगों को किसी भी समय तेजी से हटाया जा सकता है.
क्या होगा प्रभाव?
यह नीति यूक्रेनियों और अन्य प्रवासियों के लिए बड़े बदलाव का संकेत देती है. जिन लोगों ने युद्ध और संकट से बचने के लिए अमेरिका को अपना ठिकाना बनाया था, उनके सामने अब अनिश्चितता का दौर शुरू हो सकता है. ट्रंप प्रशासन का यह कदम न केवल अमेरिकी आप्रवास नीति में बदलाव को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन सकता है. इस फैसले से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या और इसके दूरगामी परिणामों को देखते हुए, यह आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोर सकता है. क्या यह कदम अमेरिका की शरण नीति को पूरी तरह बदल देगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है.