अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले शुरू किए. इन हमलों में कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई और कई हूती नेताओं को निशाना बनाया गया. यह कार्रवाई लाल सागर में जहाजों पर हूती हमलों के जवाब में की गई, जिसके कारण वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ है. व्हाइट हाउस के मुताबिक, इन हमलों का मकसद हूती विद्रोहियों की ताकत को कम करना और उनके नेतृत्व को खत्म करना था.
हूती नेताओं पर हमला
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— Russian Bot (@Neezus12) March 16, 2025
ईरान को चेतावनी
ट्रंप ने हूती विद्रोहियों के मुख्य समर्थक ईरान को सख्त चेतावनी दी. उन्होंने कहा, "ईरान को हूती समूह का समर्थन तुरंत बंद करना होगा. अगर ईरान ने अमेरिका को धमकी दी, तो हम उसे पूरी तरह जिम्मेदार ठहराएंगे और कोई नरमी नहीं बरतेंगे." ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि यह सैन्य अभियान हूती हमलों को रोकने तक जारी रहेगा.
करारा जवाब देगा ईरान
ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के शीर्ष कमांडर होसैन सलामी ने रविवार को इस हमले पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "हूती विद्रोही स्वतंत्र हैं और अपने रणनीतिक व सैन्य फैसले खुद लेते हैं." उन्होंने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा, "हम अपने दुश्मनों को साफ बता देना चाहते हैं कि अगर उन्होंने अपनी धमकियों को अमल में लाया, तो ईरान इसका करारा और विनाशकारी जवाब देगा."
हमले का मकसद
अमेरिका का कहना है कि हूती विद्रोहियों ने 2023 के अंत से लाल सागर में जहाजों पर 100 से ज्यादा हमले किए हैं, जिसमें दो जहाज डूब गए और चार नाविक मारे गए. ये हमले इजरायल-हमास युद्ध से जुड़े हुए बताए जाते हैं, जिसके चलते हूतियों ने अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन को निशाना बनाया. ट्रंप प्रशासन ने इसे अमेरिकी हितों और वैश्विक व्यापार के लिए खतरा माना और सैन्य कार्रवाई का फैसला लिया.
आगे की रणनीति
व्हाइट हाउस के अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान हूती विद्रोहियों की सैन्य क्षमता को कम करने और उनके हमलों को रोकने के लिए शुरू किया गया है. हालांकि, हूती समूह ने कहा है कि वे इन हमलों से डरने वाले नहीं हैं और जवाबी कार्रवाई करेंगे. इस बीच, क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, खासकर ईरान और अमेरिका के बीच. यह घटना न केवल यमन में चल रहे संघर्ष को उजागर करती है, बल्कि मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन और अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा के लिए भी नई चुनौतियां पेश करती है. ट्रंप का यह कदम उनकी सख्त विदेश नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका असर आने वाले दिनों में देखने को मिल सकता है.