एक फेडरल अदालत ने फैसला सुनाया है कि डोनाल्ड ट्रम्प पर 2020 के चुनाव हारने के बाद सत्ता पलटने की कोशिश के आरोपों में मुकदमा चलाया जा सकता है. यानी ट्रम्प इन आरोपों से बच नहीं सकते हैं.
असल में ट्रम्प का दावा था कि उन पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि ये आरोप राष्ट्रपति के रूप में उनकी आधिकारिक जिम्मेदारियों से संबंधित हैं. लेकिन अदालत ने मामला पलट दिया है.
यह फैसला अमेरिकी इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले किसी भी पूर्व राष्ट्रपति पर इस तरह के आरोप नहीं लगे थे.
अदालत ने कहा कि ट्रम्प अब राष्ट्रपति नहीं हैं और उन पर किसी भी अन्य नागरिक की तरह मुकदमा चलाया जा सकता है. अदालत ने यह भी कहा कि ट्रम्प के राष्ट्रपति होने के नाते किए गए कार्य उन्हें इन आरोपों से नहीं बचा सकते.
इस फैसले का मतलब है कि ट्रम्प को अब इन आरोपों का सामना करना होगा और उन्हें अदालत में जाना होगा.
यह फैसला अमेरिकी लोकतंत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है.
ट्रम्प इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं. वे इन आरोपों से लड़ने के लिए यूएस की सुप्रीम अदालत में जा सकते हैं.
अमेरिकी न्याय विभाग ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों को पलटने के लिए दबाव बनाने के लिए आपराधिक आरोप लगाए हैं.
ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने चुनाव में धांधली के झूठे दावे किए और राज्य के सांसदों, न्याय विभाग के अधिकारियों और तत्कालीन उपराष्ट्रपति माइक पेंस पर दबाव डाला कि वे चुनाव परिणामों को प्रमाणित न करें.
ट्रम्प ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि उनके खिलाफ अभियोग राजनीति से प्रेरित हैं.
ट्रम्प के वकीलों ने अपील की अदालत में एक याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने कहा है कि ट्रम्प को 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने से रोकने के लिए उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.
अगर ट्रम्प अपील में जीत जाते हैं, तो यह उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे में देरी कर सकता है.