अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज को एक बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ा. एक सिग्नल ग्रुप चैट के लीक होने से उनकी और डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की छवि पर सवाल उठने लगे. इस चैट में ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों द्वारा यमन में हूतियों पर हमले की योजना बनाई जा रही थी. इस लीक को राष्ट्रीय सुरक्षा का बड़ा उल्लंघन माना गया और इसके बाद कई लोगों ने माइक वाल्ट्ज को पद से हटाने की मांग की. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कर्मचारियों और सहयोगियों से पूछा, "क्या मुझे उन्हें नौकरी से निकाल देना चाहिए?". हालांकि, ट्रंप ने उन्हें फायर करने से मना कर दिया.
सिग्नल चैट लीक क्या था?
यह घटना तब घटी जब माइक वाल्ट्ज ने गलती से "सिग्नल" एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सर्विस पर एक ग्रुप चैट में द अटलांटिक पत्रिका के संपादक जेफ्री गोल्डबर्ग को जोड़ लिया. इस ग्रुप चैट में होथियों पर हमले की योजना बनाई जा रही थी. गोल्डबर्ग ने इस चैट के बारे में एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें सिग्नल पर वाल्ट्ज से एक कनेक्शन रिक्वेस्ट मिली और फिर उन्हें "Houthi PC Small Group" नामक ग्रुप चैट में जोड़ लिया गया. यहां उन्हें ट्रंप प्रशासन के उच्च अधिकारियों के बीच चल रही बातचीत का विवरण मिला, जिसमें हमले के तरीके की चर्चा हो रही थी.
वाल्ट्ज को फायर करने की बात?
इस लीक के बाद, कई अधिकारियों ने माइक वाल्ट्ज को पद से हटाने की सलाह दी. रिपोर्ट्स के अनुसार, उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस, चीफ ऑफ स्टाफ सुसि वाइल्स और शीर्ष कर्मचारियों ने ट्रंप से कहा कि वाल्ट्ज को सजा देना और उन्हें हटा देना चाहिए. हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप ने इस पर स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसा कोई विचार नहीं सुना और यह फैसला केवल उनका है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बात का खंडन किया कि लीक में कोई संवेदनशील जानकारी साझा की गई थी. ट्रंप ने माइक वाल्ट्ज का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है. ट्रंप ने कहा, "मैं फेक न्यूज और राजनीति से प्रेरित शिकंजे के कारण लोगों को नहीं निकालता." ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्हें माइक वाल्ट्ज पर पूरा भरोसा है और वह इस मामले में कोई बदलाव नहीं करेंगे."