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India Daily

‘अपने जीवन में भगवान को वापस लाओ…’ ट्रंप ने लोगों से की अपील, जल्द आएगा Anti-Christian कानून

ट्रम्प की पहल ईसाई समुदाय के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के नाम पर की गई है, लेकिन यह राजनीतिक बहस का भी कारण बन गई है. जहां रूढ़िवादी इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कई आलोचक इसे धर्म और सरकार के अलगाव के सिद्धांत के खिलाफ मान रहे हैं.

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Edited By: Babli Rautela
Donald Trump
Courtesy: Social Media

Donald Trump: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी सरकारी एजेंसियों में 'ईसाई विरोधी पूर्वाग्रह' की जांच और समाधान के लिए एक नया टास्क फोर्स बनाने की घोषणा की है. उन्होंने यह घोषणा नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट के दौरान की, जो वाशिंगटन में धार्मिक स्वतंत्रता पर चर्चा के लिए एक पारंपरिक एनुअल इवेंट है. ट्रम्प ने बताया कि यह टास्क फोर्स, अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी के नेतृत्व में, न्याय विभाग, आईआरएस और एफबीआई जैसी संघीय एजेंसियों में ईसाइयों के खिलाफ किसी भी तरह के भेदभाव या अन्याय की निगरानी करेगी.

इसके अलावा, यह टास्क फोर्स ईसाई विरोधी हिंसा और बर्बरता की जांच करेगी. देशभर में ईसाइयों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगी. इसके साथ ही संघीय एजेंसियों में धार्मिक भेदभाव को रोकने के लिए नए सुधारों की सिफारिश करेगी.

कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर

ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश पर भी हस्ताक्षर किए, जिसमें सरकारी एजेंसियों को ईसाइयों के खिलाफ भेदभाव की गैरकानूनी प्रथाओं की पहचान करने और उन्हें समाप्त करने का निर्देश दिया गया है. इस आदेश के तहत धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए विधायी परिवर्तन करने की सिफारिश भी की गई है.

ट्रम्प ने अपने किए गए बदलाव में अमेरिकियों से अपने जीवन में 'भगवान को वापस लाने' की अपील की. उन्होंने कहा कि 2024 में उन पर हुए हमले के बाद उनका विश्वास और भी मजबूत हुआ है. हालांकि, इसके बाद उनके भाषण ने राजनीतिक स्वर ले लिया, जिसमें उन्होंने बिडेन प्रशासन की धार्मिक नीतियों की आलोचना की, खासकर गर्भपात विरोधी अधिवक्ताओं से जुड़े मुद्दों पर.

ट्रम्प के फैसले पर रूढ़िवादी सोच

फर्स्ट लिबर्टी इंस्टीट्यूट सहित कई रूढ़िवादी समूहों ने इस पहल का स्वागत किया और कहा कि यह सार्वजनिक क्षेत्र में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए जरूरी है. धर्म और राजनीति के अलगाव की वकालत करने वाले समूहों ने इस टास्क फोर्स की आलोचना की. यूनाइटेड अमेरिकन्स फॉर चर्च एंड स्टेट की राहेल लेज़र ने चिंता जताई कि यह टास्क फोर्स वास्तव में भेदभाव को सही ठहराने और नागरिक अधिकारों को कमजोर करने का हथियार बन सकती है. रेव पॉल ब्रैंडिस रौशनबश जैसे धार्मिक नेताओं ने भी ट्रम्प प्रशासन की नीतियों की आलोचना करते हुए इसे पाखंड बताया.

ट्रम्प ने पाउला व्हाइट-कैन के नेतृत्व में व्हाइट हाउस आस्था कार्यालय स्थापित करने की भी घोषणा की. यह कार्यालय सरकारी नीतियों में आस्था-आधारित संगठनों की भागीदारी सुनिश्चित करेगा.