गाय और सुअर पालने वालों को देना होगा कार्बन टैक्स, आखिर किस देश ने बना दिया ऐसा नियम?

Tax on Cows: डेयरी उत्पाद और सुअर के मांस का बड़ा उत्पादक देश अब गाय और सुअर जैसे जानवर पालने वालों पर टैक्स लगाने जा रहा है. डेनमार्क का कहना है कि देश में बढ़ते मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए यह किया जा रहा है. इतना ही नहीं, यह भी कहा गया है कि 2030 के बाद टैक्स की दरों को और बढ़ा दिया जा रहा है. ऐसे ही कुछ कानूनों की वजह से यूरोपीय देशों के किसान कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं. 

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कार्बन उत्सर्जन पूरी दुनिया के लिए एक समस्या बना हुआ है. इसको कम करने के लिए अलग-अलग देशों में अलग तरह के प्रयास हो रहे हैं. कहीं प्रदूषण पैदा करने वाली गाड़ियों को हटाया जा रहा है, ऊर्जा के नए स्रोत खोजे जा रहे हैं तो कहीं ऐसी चीजों पर भारी टैक्स भी लगाया जा रहा है. अब एक देश ने कृषि क्षेत्र में होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एक अजीबोगरीब फैसला लिया है. डेनमार्क की सरकार ने फैसला लिया है कि गैस उत्सर्जन करने वाली गैसों और सुअरों को पालने वाले लोगों को अब कार्बन टैक्स देना होगा. डेनमार्क का लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन को 70 पर्सेंट कम करने का है.

डेनमार्क का लक्ष्य है कि साल 2030 तक इन पशुओं जैसे कि सुअर, गाय और भेंड़ से होने वाले ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जाए. दरअसल, डेनमार्क में ये जानवर मीथेन गैस के सबसे बड़े उत्सर्जक हैं जिसके चलते ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती है. डेनमार्क के टैक्सेशन मंत्री जेप्पे ब्रूस ने बताया कि 1990 के स्तर की तुलना में 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को 70 पर्सेंट कम करने का लक्ष्य है.

कितना देना होगा टैक्स?

2030 तक इन जानवरों को पालने वाले लोगों से 300 क्रोनर यानी लगभग 4000 रुपये टैक्स लिए जाएंगे. 2035 तक इस टैक्स को बढ़ाकर 750 क्रोनर यानी लगभग 10 हजार रुपये कर दिया जाएगा. US नेशनल ओसेनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, आमतौर पर जलवायु परिवर्तन के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड को जिम्मेदार माना जाता है लेकिन मीथेन 87 गुना ज्यादा गर्मी बनाए रखती है. डेनमार्क में साल 2020 के बाद से लैंडफिल, ऑइल और नेचुरल गैस सिस्टम के साथ-साथ पालतू जानवरों से होने वाला मीथेन गैस का उत्सर्जन तेजी से बढ़ा है. संयुक्त राष्ट्र के एन्वायरनमेंट प्रोग्राम के मुताबिक, इंसानों की वजह से पैदा होने वाली मीथेन गैस में लगभग 32 पर्सेंट हिस्सा पशुओं से निकलने वाली गैस का होता है.

इस तरह के कानूनों और टैक्सों के विरोध में यूरोप के देशों में लंबे समय से किसान विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे वे कंगाल होते जा रहे हैं. बता दें कि डेनमार्क की एक गाय हर साल लगभग 6 टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन करती है. डेनमार्क डेयरी उत्पाद और सुअर के मांस का बड़ा व्यापारी देश है. यही वजह है कि गायों के साथ-साथ सुअरों से होने वाले उत्सर्जन पर भी टैक्स लगाया जाएगा.

आंकड़ों के मुताबिक, 30 जून 2022 तक ही डेनमार्क में 14,84,377 गाय थीं. हालांकि, यह संख्या साल 2021 की तुलना में कम थी.