Cyber Fraud: कंबोडिया में धोखेबाजों से बचाए गए 60 भारतीय नागरिकों को भारत वापस लाया गया है. इन सभी को 20 मई को जिनबेई-4 नाम की जगह से रेस्क्यू किया गया था. सभी को वहां की गैंग ने साइबर फ्रॉड के जरिए मोटी सैलरी के नाम पर वहां बुलाया था और उन्हें भी इस अपराध के जंजाल में धकेल दिया गया था. इस केस के बाद साइबर फ्रॉड के मामलों पर चर्चा होने लगी है. इसके लिए भारत में झारखंड का जामताड़ा और हरियाणा का मेवात बदनाम है. लेकिन, क्या आपको पता है सबसे ज्यादा फ्रॉड साउथ-ईस्ट एशिया के देशों से आते हैं, जहां बड़ी संख्या में पति काम करते हैं.
भारतीय दूतावास ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देश कंबोडिया में साइबर क्राइम के चंगुल में फंसे 360 भारतियों को देश वापस लौटाया है. पिछले रोज ही 60 लोगों की वतन वापसी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार, देश को इस साल जनवरी और अप्रैल के बीच दक्षिण-पूर्व एशिया से संचालित हो रहे फ्रॉड में करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है.
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के सीईओ राजेश कुमार के अनुसार, साल 2024 में जनवरी से अप्रैल के बीच 62,587 निवेश के नाम पर हुए घोटालों में 1,420 करोड़ रुपये, 20,043 ट्रेडिंग घोटाले के मामलों में 222 करोड़ रुपये, 4,600 डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले में 120 करोड़ रुपये और 1,725 रोमांस/डेटिंग घोटाले में 13 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इनमें से अधिकतर मामले दक्षिण-पूर्व एशिया से संचालित थे.
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के सीईओ राजेश कुमार के अनुसार, इन ठग सेंटरों में बड़ी संख्या में चाइना के लोग काम करते हैं. क्योंकि, लोगों को ठगने उपयोग होने वाले कई ऐप चीनी भाषा में मिले हैं.
साउथ-ईस्ट एशिया के कंबोडिया, म्यांमार और लाओस जैसे देश साइबर फ्रॉड के अड्डे बनते जा रहे हैं. यहां बैठे लोग भारतीयों को लगातार निशाना बना रहे हैं. ये अच्छे पैकेज वाली नौकरी के नाम पर लोगों को वहां बुलाते हैं और फिर उन्हें इस अपराध के मायाजाल में फंसा देते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, 46 फीसदी साइबर अपराध के मामले दक्षिण पूर्व एशियाई देशों खासकर कंबोडिया, म्यांमार और लाओस ही से ही आते हैं. केंद्र सरकार की विशेष टीम ने इनपर नकेल कसने के लिए इनके ऑपरेशन सेंटर, स्काइप, गूगल और मेटा एड के साथ-साथ एसएमएस हेडर, सिम कार्ड, बैंक खातों पर निगरानी कर रही है. 4 महीने में 3.25 लाख फर्जी खातों को बंद किया गया है.
आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और दिल्ली से पकड़े गए अवैध भर्तीकर्ताओं ने से जानकारी मिली की नकली नौकरियों की विज्ञाप्ति के साथ ही भारतीयों को सोशल मीडिया विज्ञापनों से फंसाया जाता है. उनके अच्छे पैसों का लालच दिया जाता है. इसके बाद उन्हें संबंधित देश भेजकर उनका पासपोर्ट आदि भी जमा करा लिया जाता है.