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भ्रष्टाचार, शराब, शीशमहल...कैसे बेदाग ब्रांड केजरीवाल की छवि को लगा धक्का? ये हैं हार के कारण

अरविंद केजरीवाल ने खुद को एक कट्टर ईमानदार नेता के रूप में प्रस्तुत किया. भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके मजबूत रुख और नागरिकों के मुद्दों पर केंद्रित एजेंडे ने उन्हें जन-प्रिय बना दिया. केजरीवाल ने खुद को 'आम आदमी' का प्रतिनिधि बताया, और जनता के बीच यह छवि उन्हें लगातार लोकप्रिय बनाती गई.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Arvind Kejriwal
Courtesy: Social Media
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दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के लगातार सत्ता में रहने का सिलसिला इस बार विधानसभा चुनाव में थम गया है. 2013 में अन्ना आंदोलन से निकली AAP ने जब चुनावी राजनीति में कदम रखा, तो उसकी उम्मीदें काफी थीं. उसी साल पार्टी ने दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ होकर एक नई राजनीति की शुरुआत की. फिर, 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ऐतिहासिक 67 सीटें जीतीं, और 2020 में इस आंकड़े को 62 सीटों तक पहुंचाया. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी ने खुद को दिल्ली की राजनीति में मजबूती से स्थापित किया.

अरविंद केजरीवाल ने खुद को एक कट्टर ईमानदार नेता के रूप में प्रस्तुत किया. भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके मजबूत रुख और नागरिकों के मुद्दों पर केंद्रित एजेंडे ने उन्हें जन-प्रिय बना दिया. केजरीवाल ने खुद को 'आम आदमी' का प्रतिनिधि बताया, और जनता के बीच यह छवि उन्हें लगातार लोकप्रिय बनाती गई. यही वजह थी कि दिल्ली के चुनावों में AAP का प्रदर्शन बढ़ता गया, और पार्टी ने तीन बार सत्ता पर काबिज़ होने में सफलता प्राप्त की.

ईमानदार छवि को धक्का

हालांकि, AAP का सफर इतना आसान नहीं था. पार्टी के दूसरे कार्यकाल के अंत तक आते-आते, पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जो उसकी ईमानदार छवि को धक्का पहुंचा रहे थे. इससे पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे. इस बीच, केजरीवाल के खिलाफ मीडिया में कई विवादों की चर्चाएँ भी बढ़ने लगीं. सबसे बड़ा झटका पार्टी को तब लगा जब चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल को जेल भेजा गया. इस घटना ने AAP की स्थिति को कमजोर किया और उनकी छवि पर एक और धब्बा लगा. शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सत्येंद्र जैन से लेकर संजय सिंह, मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के जेल जाने से चुनाव बदल गया. 

यमुना की सफाई

दिल्ली के चुनाव यमुना की सफाई एक बड़ा मुद्दा था. बीजेपी ने इसे लेकर केजरीवाल को घेरा. प्रचार के आखिरी दौर में केजरीवाल की ओर से हरियाणा की बीजेपी सरकार पर यमुना के पानी में जहर घोलने का आरोप लगाना उल्टा पड़ गया. हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने दिल्ली की घाट पर आकर पानी पिया और केजरीवाल को झूठा बता दिया. केजरीवाल ने भी अपनी चुनावी सभाओं में यमुना को साफ न कर पाने की बात स्वीकार की थी और इस काम के लिए तीसरी बार जनता से मौका मांगा था. 

'शीशमहल' और स्वाति मालीवाल से कथित मारपीट

'शीशमहल' का मुद्दा चुनाव में खुब उठा. आम आदमी पर आरोप लगा कि जब दिल्ली की जनता कोरोना से मर रही थी तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अपनी सरकारी आवास में काम करवा रहे थे. इससे केजरीवाल के इमेज को नुकसान पहुंचा. इसके साथ मुख्यमंत्री आवास में पार्टी की महिला सांसद स्वाति मालीवाल से कथित मारपीट का मामला भी चुनाव में AAP की हार के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है. मावीवाल इसके लिए केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया.