Hindu Condition in Bangladesh: चिन्मय कृष्ण प्रभु दास के वकील भारत पहुंचे हैं. उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्यचारों के बारे कई बड़े खुलासे किए हैं. बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच के संस्थापक रवींद्र घोष ने भारत में एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि उनके पास बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू समुदाय के खिलाफ हुईं हिंसा की 1000 से अधिक शिकायतें हैं.
रवींद्र घोष भारत में अपने स्वास्थ्य चेक-अप के लिए आए थे. वह दिल्ली स्थित AIIMS अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि वह जल्द ही बांग्लादेश लौट जाएंगे. उन्होंने कहा कि वह अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे.
रवींद्र घोष, जो बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लम्बे समय से संघर्ष कर रहे हैं, ने कहा कि वहां हिंदू समुदाय की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई है. घोष ने बताया कि बांग्लादेश में हर दिन हिंसा, अपहरण, बलात्कार और जमीन कब्ज़ाने की घटनाएं बढ़ रही हैं. उन्होंने बताया कि उनकी संस्था ने 1000 से अधिक शिकायतें प्राप्त की हैं, जिनमें बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू समुदाय के खिलाफ हुए अत्याचारों का विवरण है.
घोष के अनुसार, इन शिकायतों में धार्मिक भेदभाव, जबरन धर्म परिवर्तन, और हिंदू महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं शामिल हैं. वह कहते हैं, "बांग्लादेश में इस समय धार्मिक उग्रवादियों का दबदबा है और जो लोग इस अत्याचार का विरोध करते हैं, उन्हें शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है."
रवींद्र घोष ने अपने एक और खुलासे में बताया कि उन्होंने बांग्लादेश के चिटगाँव कोर्ट में हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्णा प्रभु दास के लिए वकालत की थी, जिन्हें धार्मिक आधार पर गिरफ्तार किया गया था. उन्हें न्याय दिलाने के लिए घोष ने कोर्ट में अर्जी डाली, लेकिन वहां एक समूह के वकील ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. घोष ने यह भी कहा कि उन्हें अदालत के भीतर ही धमकियां दी गईं और उनके खिलाफ शारीरिक हिंसा की कोशिश की गई.
घोष ने कहा कि बांग्लादेश में धार्मिक उग्रवादियों का प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और देश अब इस्लामी कट्टरपंथियों के प्रभाव में आ चुका है. वह कहते हैं, "हमें इस घातक स्थिति से लड़ने के लिए और अधिक साहस की आवश्यकता है. हम अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए हमेशा संघर्ष करते आए हैं, लेकिन अब हालात और भी खराब हो गए हैं."