चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है. बीजिंग ने अपने सरकारी अधिकारियों को "युद्धकालीन स्थिति" में रखा है और अन्य देशों को अमेरिका के दबाव के खिलाफ एकजुट होने के लिए राजनयिक अभियान शुरू किया है. चार सूत्रों के अनुसार, कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचार अधिकारियों ने इस प्रतिक्रिया को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है. सोशल मीडिया पर सरकारी प्रवक्ताओं ने पूर्व नेता माओ त्से-तुंग के उद्धरण "हम कभी नहीं झुकेंगे" के साथ वीडियो साझा किए हैं.
युद्धकालीन तैयारी और जवाबी कार्रवाई
वैश्विक सहयोग की कोशिश
बीजिंग ने ट्रंप के टैरिफ से प्रभावित देशों, जैसे यूरोप, जापान और दक्षिण कोरिया, को सहयोग के लिए पत्र भेजे हैं. एक चीनी प्रवक्ता ने कहा, "अगर अमेरिका अपने हितों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के ऊपर रखता है, तो उसे और कड़ा विरोध झेलना होगा." हालांकि, कुछ देशों ने चीन की सब्सिडी नीतियों पर सवाल उठाए हैं.
ट्रंप और चीन के बीच तनाव
ट्रंप ने कहा, "चीन ने गलत कदम उठाया, वे घबरा गए - यह वह चीज है जो वे बर्दाश्त नहीं कर सकते!" उन्होंने यह भी दावा किया कि चीन समझौता चाहता है, लेकिन "वे नहीं जानते कि इसे कैसे करना है." दूसरी ओर, चीनी नेता शी जिनपिंग ने देशभक्ति का संदेश दिया, जिसमें अमेरिकी मतदाताओं की सहनशक्ति पर सवाल उठाए गए.
भविष्य की चुनौतियां
चीन ने घरेलू खपत को बढ़ाने की रणनीति अपनाई है, लेकिन रियल एस्टेट संकट ने अर्थव्यवस्था को कमजोर किया है. विशेषज्ञ झाओ मिंगहाओ ने कहा, "वास्तविक युद्धक्षेत्र घरेलू मोर्चे पर है." माओ के 1953 के भाषण का एक वीडियो, जिसमें वे कहते हैं, "चाहे यह युद्ध कितना भी लंबा चले, हम कभी नहीं झुकेंगे," ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है.