चीन के इस कदम से उड़ी दुनिया की नींद, भारत से लेकर अमेरिका तक मची खलबली!

China: चीन ने बुधवार को इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का प्रशांत महासागर में सफल परीक्षण किया. 44 साल बाद चीन ने इस तरह की मिसाइल का परीक्षण किया.

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India Daily Live

China: बुधवार को चीन ने प्रशांत महासागर में एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया. यह परीक्षण सफल रहा. बैलिस्टिग मिसाइल के परीक्षण की जानकारी चीन ने खुद ही दी है. चीन का यह कदम भारत के लिए खतरे किसी खतरे की घंटी से कम नहीं. प्रशांत महासागर में चीन अपनी दादागिरी से बाछ नहीं आ रहा है. बीजिंग के इस कदम को परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण भी माना जा रहा है. 

चीनी रक्षा मंत्रलाय की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि डमी वारहेड ले जाने वाली आईसीबीएम (ICBM) का बुधवार की सुबह समुद्री क्षएत्र में परीक्षण किया गया. यह परीक्षण हमारी वार्षिक ट्रेनिंग के तहत किया गया. चीन ने इस परीक्षण को लेकर संबंधित देशों को पहले ही सूचित किया था. हालांकि, इस बात की सूचना नहीं दी गई कि इसका परीक्षण किस क्षेत्र में किया गया.  

44 साल में चीन ने उठाया यह कदम

44 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब चीन ने खले समुद्र में ICBM DF-41 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. एक ओर चीन ने  इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल डमी वारहेड का सफल परीक्षण किया तो दूसरी ओर अमेरिका के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा चल रही है. यूएन में चीन वीटो पावर वाला देश है.  

चीन द्वारा किया गया यह परीक्षण एटमॉस्फियरिक टेस्ट था. यानी वायुमंडल के बाहर भेजकर मिसाइल को वापस पृथ्वी में लाना. करीब 9 हजार किमोलीटर की दूरी तय करने के बाद यह मिसाइल प्रशांत महासागर में अपने तय टारगेट पर गिरी. 

समुद्री क्षेत्र में प्रभाव बढ़ा रहा है चीन

1980 के बाद इस तरह चीन द्वारा इस मिसाइल का परीक्षण किया जाना कहीं न कहीं समुद्री क्षेत्र में अपने प्रभाव को और बढ़ाने का संकेत देता है. जापान ने चीन के इस कदम का विरोध किया है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देश भी चीन के इस कदम से चिंतित हैं. चीन की यह मिसाइल परीक्षण के दौरान सोलोमन आइलैंड, नाउरू, गिलबर्ट आइलैंड, तुवालू, पश्चिमी सामोआ, फिजी और न्यू हेब्रिड्स जैसे देशों से होकर गुजरी थी. 

अमेरिका तक जा सकती है मिसाइल

अमेरिका तक पहुंच सकती है ICBM DF-41 बैलिस्टिक मिसाइल  की रेंज 12 हजार से 15 हजार किलोमीटर तक है. अनुमान लगाया जा रहा है कि ये बैलिस्टिक मिसाइल अमेरिका तक जा सकती है. ऐसे में चीन के इस कदम से अमेरिका भी चिंतित है.