नई दिल्ली: भारत और मालदीव के बिगड़ते राजनयिक रिश्तों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. हिंद महासागर में बढ़ते दखल के बीच आज यानी 8 फरवरी को चीन का एक जासूसी जहाज मालदीव के माले पहुंचने वाला है. ये जहाज (पोत) अनुसंधान और सर्वेक्षण के उपकरणों से लैस है. माले बंदरगाह पर इस जहाज को रुकने की अनुमति भारत विरोधी मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने दी है. उधर भारत का कहना है कि वे इस मामले में करीब से नजर रखे हुए है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक चीनी अनुसंधान और सर्वेक्षण पोत (जहाज) गुरुवार दोपहर को माले बंदरगाह में प्रवेश करेगा. हालांकि इस मामले में मुइज्जू सरकार ने स्पष्ट किया है कि चीनी जहाज जियांग यांग होंग-3 को केवल परिचालन परिवर्तन के लिए माले बंदरगाह में अनुमति दी गई है. मालदीव के विशेष आर्थिक क्षेत्र में कोई चीन का जहाज कोई अनुसंधान नहीं करेगा. चीन के इस जहाज में नागरिक अनुसंधान और सैन्य बल दोनों एक साथ रहते हैं जो निगरानी का काम करते हैं. दावा किया जा रहा है कि चीन में सान्या बंदरगाह छोड़ने के बाद से ये जहाज संदिग्ध व्यवहार कर रहा है.
सुंडा जलडमरूमध्य को पार करते समय कम से कम तीन बार अपने ट्रांसपोंडर को बंद किया है. कोई भी जहाज इस तरह की हरकत खुद को ट्रैकिंग से बचाने के लिए करता है. उधर, हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में प्रवेश करने के बाद से भारतीय नौसेना की ओर से चीनी जहाज की निगरानी की जा रही है. समुद्री यातायात निगरानी साइटों से पता चलता है कि करीब एक पखवाड़े पहले भारत-जावा समुद्र में प्रवेश करने के बाद से पोत ट्रांसपोंडर बंद किया गया है.
मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि जहाज की करीबी निगरानी से पता चलता है कि इसने आईओआर में प्रवेश करने के बाद से कोई शोध या निगरानी गतिविधि नहीं की है, लेकिन माले में रोटेशन और पुनःपूर्ति के बाद इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. इसी जहाज के 5 फरवरी को समुद्री अनुसंधान के लिए कोलंबो पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन श्रीलंका सरकार ने 22 दिसंबर को नई दिल्ली के अनुरोध पर अपने बंदरगाहों को किसी भी चीनी निगरानी के लिए बंद करने का फैसला किया था. नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2022 में ही शीर्ष स्तर पर श्रीलंकाई और मालदीव के जलक्षेत्र में जियांग यांग होंग-03 के प्रस्तावित शोध पर अपनी गंभीर चिंताओं से कोलंबो और माले को अवगत कराया था.
चीनी नौसेना 2023 में आईओआर में बेहद सक्रिय रही है, जब एक पारंपरिक डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी समेत करीब 23 युद्धपोत तैनात किए गए थे. इसके अलावा करीब 11 चीनी अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाजों को इस क्षेत्र में देखा गया था. उस साल इस क्षेत्र में चीन के पास 11 सैटेलाइट बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग जहाज भी थे.