डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीतियों ने चीन के साथ तनाव को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है. ट्रंप ने हाल ही में चीनी आयात पर 145% टैरिफ लगाया, जिसके जवाब में बीजिंग ने अमेरिकी उत्पादों पर 125% टैरिफ थोपकर पलटवार किया. दोनों महाशक्तियों के बीच यह महंगा खेल अब नियंत्रण से बाहर होने की कगार पर है. विशेषज्ञों को डर है कि यह आर्थिक अस्थिरता ताइवान को केंद्र में रखकर सैन्य संघर्ष में बदल सकती है.
ताइवान: युद्ध का संभावित केंद्र
ताइवान लंबे समय से चीन और अमेरिका के बीच तनाव का प्रमुख बिंदु रहा है. 1949 में मेनलैंड चीन से अलग होने के बाद से बीजिंग ताइवान को दोबारा अपने में मिलाने के लिए दबाव डालता रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ नीतियों के जवाब में चीन ताइवान पर सैन्य दबाव बढ़ा सकता है. प्रोफेसर केरी ब्राउन ने चेतावनी दी है, "ताइवान वैश्विक संघर्ष का सबसे बड़ा संभावित कारण है. अगर चीन ने ताइवान पर सैन्य आक्रमण किया, तो वैश्विक राजनीति तुरंत बदल जाएगी."
विशेषज्ञों की चेतावनी
ब्रिटिश सेना के पूर्व कमांडर हैमिश डी ब्रेटन-गॉर्डन ने कहा, "वित्तीय झटके संघर्ष को जन्म दे सकते हैं. यह टैरिफ युद्ध ग्रह को पूर्ण मंदी में धकेल सकता है." उन्होंने सन अखबार को बताया, "तनाव बढ़ता जाएगा और किसी बिंदु पर यह टूटेगा - या तो टैरिफ युद्ध खत्म होगा या कोई संघर्ष शुरू होगा." क्विंसी इंस्टीट्यूट के जैक वर्नर ने भी चेताया, "ताइवान या दक्षिण चीन सागर में एक गलत कदम तबाही ला सकता है."
चीन की रणनीति और अमेरिका की प्रतिक्रिया
चीन ने स्पष्ट किया है कि वह "हर प्रकार के युद्ध" के लिए तैयार है और ट्रंप को चेतावनी दी है कि "आप खुद को बाघों के हवाले कर रहे हैं." दूसरी ओर, अमेरिका ने भी युद्ध के लिए "तैयार" होने की बात कही है. हेनरी जैक्सन सोसाइटी के डैरेन स्पिनक का मानना है कि बीजिंग ताइवान के आसपास सैन्य दबाव बढ़ाकर अपनी "लाल रेखाएं" याद दिला सकता है. उन्होंने कहा, "ताइवान पर पूर्ण आक्रमण की संभावना कम है, लेकिन लंबे समय तक तनाव बढ़ने पर बीजिंग युद्धाभ्यास, समुद्री नाकेबंदी या दबाव की रणनीति अपनाएगा."
वैश्विक प्रभाव
प्रोफेसर ब्राउन ने चेतावनी दी, "चीन का ताइवान पर आक्रमण वैश्विक राजनीति को तुरंत बदल देगा. चीन एक प्रतिस्पर्धी से तुरंत दुश्मन बन जाएगा क्योंकि वह एक लोकतंत्र पर हमला करेगा." ताइवान अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश अमेरिका के लगभग आधे माइक्रोचिप्स की आपूर्ति करता है. इस बीच, रूस के राष्ट्रपति पुतिन इस तनाव का फायदा उठा सकते हैं, क्योंकि यह ध्यान उनकी यूक्रेन नीति से हटाता है.
चीन और अमेरिका के बीच बढ़ता टैरिफ युद्ध न केवल आर्थिक, बल्कि सैन्य और राजनीतिक संकट को भी जन्म दे सकता है. ताइवान इस तनाव का केंद्र बन सकता है, जहां एक गलत कदम वैश्विक तबाही का कारण बन सकता है. दोनों देशों को बातचीत के जरिए इस संकट को टालने की जरूरत है.