चीन ने उड़ाई भारत की नींद, सकते में पूरी दुनिया; बना रहा एटम बम का 'खुफिया किला', सैटेलाइट तस्वीरों ने खोली ड्रैगन की पोल

यह परियोजना अमेरिका के $3.5 बिलियन के राष्ट्रीय इग्निशन फैसिलिटी (NIF) से मिलती-जुलती है, जो 2022 में फ्यूजन रिएक्शन से अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने में सफल रही थी. विशेषज्ञों के अनुसार, चीन का यह केंद्र NIF से 50% बड़ा है.

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चीन के पश्चिमी शहर मियानयांग में एक बड़ा लेजर-आधारित फ्यूजन रिसर्च सेंटर बनाए जाने की खबर सामने आई है, जिससे चीन के न्यूक्लियर हथियारों के विकास और पावर जनरेशन तकनीकों पर नया असर पड़ सकता है. सैटेलाइट्स तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि यह रिसर्च सेंटर एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला बन रहा है, जहां शक्तिशाली लेजर फ्यूजन प्रक्रिया का अध्ययन किया जाएगा. 

लेजर-फ्यूजन रिसर्च लैब का निर्माण

विशेषज्ञों का कहना है कि मियानयांग में बन रहा यह केंद्र लेजर-आधारित फ्यूजन पर शोध करेगा, जो भविष्य में ऊर्जा उत्पादन और न्यूक्लियर हथियारों के डिजाइन में अहम भूमिका निभा सकता है. रिसर्च सेंटर के डिजाइन में चार बाहरी "आर्म्स" होंगे, जो लेजर बे का घर होंगे, और एक केंद्रीय प्रयोगशाला होगी जहां हाइड्रोजन आइसोटोप्स को एक साथ फ्यूज़ किया जाएगा. यह प्रक्रिया ऊर्जा उत्पादन के लिए की जाएगी.

भारत के लिए चिंता का विषय

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने उल्लेख किया कि यह वृद्धि चीन को एक दुर्जेय परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित करती है, जो भारत की क्षमताओं से काफी आगे है. भारत के परमाणु शस्त्रागार में अनुमानतः 172 हथियार हैं, जो पाकिस्तान के 170 हथियारों से कुछ अधिक है. जबकि भारत ने अपने परमाणु वितरण प्रणालियों - जैसे कि अग्नि श्रृंखला की बैलिस्टिक मिसाइलों - के आधुनिकीकरण में प्रगति की है - चीन के तीव्र विस्तार की तुलना में इसका समग्र भंडार सीमित है. परमाणु हथियारों के अलावा, चीन परमाणु ऊर्जा उत्पादन में भी भारत से आगे है. भारत 23 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का संचालन करता है, जो इसकी कुल बिजली का लगभग 6 प्रतिशत उत्पादन करते हैं.

न्यूक्लियर हथियारों की दिशा में एक कदम

यह फ्यूजन रिसर्च लैब न केवल ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, बल्कि इससे न्यूक्लियर हथियारों के डिजाइन में भी मदद मिल सकती है. जैसा कि विशेषज्ञ विलियम एलबर्क ने कहा, "ऐसी कोई भी सुविधा जो NIF जैसे आकार की हो, वह अपनी देश की न्यूक्लियर हथियारों की डिजाइन को बिना परीक्षण के भी सुधार सकती है."

चीन की प्रतिक्रिया

चीन के विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की है, और न ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से कोई प्रतिक्रिया मिली. हालांकि, 2020 में अमेरिकी न्यूक्लियर कंट्रोल डिप्लोमैट Marshall Billingslea ने उपग्रह चित्रों के माध्यम से चीन के न्यूक्लियर हथियारों के सहायक सुविधाओं के निर्माण की ओर इशारा किया था.