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India Daily

ब्रह्मपुत्र को बांधने की कोशिश में है चीन, दुनिया के सबसे बड़े डैम से भारत-बांग्लादेश की बढ़ी चिंता

चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बना रहा है, इसको लेकर भारत की तरफ से चिंता व्यक्त की गई थी. चीन ने अब इसपर सफाई दी है. ब्रह्मपुत्र नदी  अरुणाचल से होती हुई बांग्लादेश में भी जाती है.

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
China Brahmaputra Dam
Courtesy: x

 Brahmaputra Dam: चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले दुनिया के सबसे बड़े बांध को लेकर उठ रही आशंकाओं पर सफाई दी है. चीन का दावा है कि इस परियोजना से भारत और बांग्लादेश जैसे निचले इलाकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. यह बांध 137 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत से बन रहा है और इसे हिमालय क्षेत्र में स्थित ब्रह्मपुत्र नदी पर स्थापित किया जाएगा.

चीन की इस परियोजना को लेकर भारत और बांग्लादेश की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि यह नदी उनके क्षेत्रों से भी गुजरती है. भारत और बांग्लादेश को डर है कि इस बांध में चीन बड़ी मात्रा में पानी को रोक सकता है, ऐसे में उनके इलाकों में पानी का संकट खड़ा हो सकता है, इसके साथ ही एक साथ पानी छोड़ने पर बाढ़ का संकट भी आ सकता है.

चीन ने क्या कहा?

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने शुक्रवार को कहा कि चीन ने इस बांध के निर्माण के लिए दशकों तक अध्ययन किया है और सुरक्षा उपाय किए हैं. माओ के अनुसार, चीन हमेशा से सीमा पार नदियों के विकास के लिए जिम्मेदार रहा है और इस परियोजना में पर्यावरण सुरक्षा, पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए काम किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि चीन भारत और बांग्लादेश के साथ संवाद बनाए रखेगा और इन देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने और आपदा राहत में सहयोग प्रदान करेगा. 

अरुणाचल से होती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है ब्रह्मपुत्र  

इस विशाल जलविद्युत परियोजना का मुख्य उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करना और जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं का सामना करना है. चीनी अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि तिब्बत में बनने वाला यह बांध भारतीय सीमा के पास स्थित ब्रह्मपुत्र नदी के यारलुंग जांगबो नामक हिस्से पर बनेगा. यह नदी अरुणाचल प्रदेश से होती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है. 

भारत भी बना रहा बांध

भारत में इस परियोजना को लेकर चिंता इसलिए बढ़ी है क्योंकि इस बांध के कारण चीन के पास जल प्रवाह को नियंत्रित करने की शक्ति हो सकती है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थितियां उत्पन्न कर सकता है. वहीं, भारत भी ब्रह्मपुत्र पर एक बांध बना रहा है और दोनों देशों ने इस विषय पर संवाद बनाए रखने के लिए विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ईएलएम) की स्थापना की है.