India China Conflict: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर कूटनीतिक प्रयास भले ही जारी हैं, लेकिन हाल ही में आई सैटेलाइट तस्वीरों ने चीन की नई रणनीतिक चाल का पर्दाफाश किया है. इन तस्वीरों में पैंगोंग त्सो झील के पास चीनी बस्ती का तेजी से निर्माण होता दिखा, जो दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव को और बढ़ा सकता है. यह क्षेत्र भारत के दावों से बाहर है, लेकिन चीन की गतिविधियों पर गहरी नजर रखी जा रही है.
अमेरिकी कंपनी मैक्सार टेक्नोलॉजी द्वारा 9 अक्टूबर को ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में पैंगोंग झील के पास 17 हेक्टेयर क्षेत्र में बड़ी संख्या में इमारतें बनती हुई दिखीं. जियोस्पेशियल विशेषज्ञ वाई. नित्यनंदम के अनुसार, "100 से अधिक आवासीय और प्रशासनिक भवनों का निर्माण किया जा रहा है." तस्वीरों में मशीनरी और बड़ी संख्या में सामग्री भी देखी जा सकती है, जो चीन की तेजी से चल रही निर्माण प्रक्रिया को दर्शाता है.
इस बस्ती का निर्माण अप्रैल 2024 में शुरू हुआ था और यह दो हिस्सों में बंटी हुई प्रतीत होती है – एक प्रशासनिक और दूसरा परिचालन क्षेत्र. यह बस्ती ऊंची पहाड़ियों के पीछे स्थित है, जो इसे निगरानी और हमलों से बचाने के लिए रणनीतिक रूप से अहम बनाती है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस बस्ती का उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है, तो यह एक "अस्थायी अग्रिम ठिकाना" बन सकता है, जिससे चीन की सैन्य प्रतिक्रिया तेज हो जाएगी.
इस निर्माण को लेकर एक अन्य व्याख्या यह भी है कि यह बस्ती तिब्बती खानाबदोशों के स्थायी निवास के लिए बनाई जा रही हो सकती है. भूगोलवेत्ता नेचर देसाई के अनुसार, यह स्थान ऐतिहासिक 'चांगज़ुन नुरु' नामक स्थल पर स्थित है, जहाँ पहले खानाबदोश तिब्बती लोग रहा करते थे. चीन पिछले कुछ वर्षों से तिब्बती खानाबदोशों के लिए स्थायी आवास बना रहा है, और यह बस्ती उसी योजना का हिस्सा हो सकती है.
बस्ती के पास जल स्रोत होने से पानी की समस्या हल हो गई है, लेकिन बस्ती की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर रहना होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बस्ती के निर्माण कार्य में तेजी आई है, लेकिन मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियाँ आने वाले महीनों में निर्माण की गति को प्रभावित कर सकती हैं.