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India Daily

एलियंस को बाहर निकालने के लिए इंसान के खून में मिलाया जाएगा केमिकल, हिला देने वाला है पूरा प्लान

नासा ने एक ऐसा तरीका ढूंढ निकाला है जो मंगल पर छिपे एलियंस को ढूंढ निकालने में सक्षम है. इसे तैयार करने में मेन कंपोनेंट के रूप में एमिनो एसिड का उपयोग किया जा रहा है, जो मानव रक्त में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

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Edited By: Shanu Sharma
Alians News
Courtesy: Social Media

Alians News: स्ट्रोबायोलॉजिस्ट कंपनी एक ऐसा मशीन बना रहा है जिससे उम्मीद है कि निष्क्रिय अलौकिक माइक्रो ऑग्रेजम बाहर निकल कर आएंगे. इसे तैयार करने में मेन कंपोनेंट के रूप में एमिनो एसिड का उपयोग किया जा रहा है, जो मानव रक्त में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

‌NASA के जांचकर्ताओं ने उल्कापिंडों के भीतर छिपे रसायन Lसेरीन  और इसी तरह के एमिनो एसिड की खोज की है. परीक्षणों से पता चला है कि पृथ्वी की सबसे कठोर परिस्थितियों में जीवित रहने वाले बैक्टीरिया L-सेरीन की ओर आकर्षित होते हैं. वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन बनाई है जिसमें यह रसायन है जो मंगल ग्रह पर उतर सकता है और ET माइक्रो ऑग्रेजम को बाहर निकाल सकता है. जिससे यह साबित करता है कि लाल ग्रह पर जीवन मौजूद है.

मैक्स रीकेल्स बना रहें पूरा प्लान

इस प्रोजक्ट पर काम कर रहे मैक्स रीकेल्स एक पूर्व एयरोस्पेस इंजीनियर हैं. जो अब जर्मनी के बर्लिन के तकनीकी विश्वविद्यालय में अलौकिक बायोसिग्नेचर अनुसंधान पर काम करते हैं. इसे लेकर उन्होंने कहा कि यह भविष्य के मंगल मिशनों पर जीवन की तलाश करने का एक सरल तरीका हो सकता है. एल-सेरीन यह विशेष अमीनो एसिड जिसका हमने उपयोग किया था हम इसे अपने शरीर में खुद बना सकते हैं. यह यौगिक पृथ्वी के महासागरों में अंधेरे, अन्य-विश्वीय पारिस्थितिकी तंत्रों में भी आम है. जो गहरे समुद्र के हाइड्रोथर्मल वेंट के आसपास हैं.

जहां जीवन प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से खुद को खिलाने के लिए कहीं से भी दूर विकसित हुआ है. रीकेल्स का उपकरण केमोटैक्सिस नामक एक घटना पर निर्भर करता है. यह एक प्रक्रिया जिसमें सूक्ष्मजीव आस-पास के रसायनों की प्रतिक्रिया में पलायन करते हैं. शोध से पता चला है कि कई छोटे जीव उच्च एल-सेरीन सांद्रता की ओर बढ़ते हैं. जिसके कारण रीकेल्स ने एक पतली अर्ध-छिद्रित झिल्ली द्वारा विभाजित दो कक्षों वाली एक परीक्षण किट विकसित की. पहले कक्ष में मंगल जैसे दूसरे विश्व से एक नमूना होगा, जबकि दूसरे कक्ष में पानी में एल-सेरीन की सांद्रता होगी.

तीन सैंपल पर चल रहा काम

‌बॉफिन्स को एल-सेरीन की ओर बढ़ते हुए एलियन सूक्ष्मजीवों को वीडियो पर कैद करने की उम्मीद है. रीकेल्स ने कहा कि अंटार्कटिका के समुद्र में पाया जाने वाला एक बैक्टीरिया मंगल ग्रह जैसे 'बहुत ठंडे तापमान' और 'नमकीन वातावरण' में पनपा. दूसरा  आंत के बैक्टीरिया का एक रूप 100 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहने के लिए एक सुरक्षात्मक आवरण विकसित करता है. जबकि तीसरा मृत सागर में पाया जाता है. जो की मंगल ग्रह के सूक्ष्मजीवों के समान आक्रामक विकिरण जोखिम को झेल सकता है.अध्ययन में शामिल तीनों ही सैंपल चैंबर से एल-सेरीन की ओर तेजी से बढ़े.

रीकेल्स के साथ काम करने वाले ग्रहीय आवास के प्रोफेसर डर्क शुल्ज़-मकुच ने कहा कि अगर कोई अंतरिक्ष यान ऐसी जगह पर उतरता है जहां 'तरल पानी' मौजूद है, तो डिवाइस एलियन सूक्ष्मजीवों को खोज सकता है. उन्होंने कहा कि मंगल के दक्षिणी ऊंचे इलाके या वैलेस मेरिनेरिस घाटी के तल जैसे कम ऊंचाई वाले स्थान या गुफाओं के अंदर जहाँ "वायुमंडलीय दबाव तरल पानी को सहारा देने के लिए पर्याप्त हैं" एलियन शिकार के लिए पसंदीदा स्थान थे.