बांग्लादेश में पिछले कई दिनों से हिंसा जारी है. रविवार को बांग्लादेश में भड़की हिंसा में 72 से अधिक लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग का घायल हुए. इस बीच विदेश मंत्रालय ने रविवार को अपने सभी नागरिकों को सलाह दी कि वे बांग्लादेश में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर अगली सूचना तक वहां की यात्रा करने से बचें.
विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सावधानी बरतने, अपनी आवाजाही सीमित रखने तथा ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग के आपातकालीन फोन नंबरों पर संपर्क बनाए रखने की सलाह दी है. भारत की सलाह से संबंधित जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल द्वारा एक्स पर पोस्ट की गई. यह घटना देश में व्यापक हिंसक झड़पों और विरोध प्रदर्शनों के बीच हुई हैजिसके कारण 14 पुलिसकर्मियों समेत 91 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों अन्य घायल हो गए. प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं .
अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार ने मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया और अनिश्चित काल के लिए देशव्यापी कर्फ्यू लागू कर दिया. स्थानीय मीडिया आउटलेट ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, प्रशासन ने सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सोमवार, मंगलवार और बुधवार को तीन दिन की सामान्य छुट्टी की भी घोषणा की है.
इस बीच, प्रधानमंत्री हसीना ने प्रदर्शनकारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बांग्लादेश में 'तोड़फोड़' करने वाले छात्र नहीं बल्कि आतंकवादी हैं. उन्होंने कहा, मैं देशवासियों से इन आतंकवादियों को सख्ती से कुचलने की अपील करती हूं. इससे पहले जून-जुलाई में हुए एक विरोध प्रदर्शन के दौरान नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली की समाप्ति को लेकर पुलिस और छात्रों के बीच हिंसक झड़पें हुईं थीं, जिसमें 200 से अधिक लोगों की जान चली गई थी. जिस कोटा प्रणाली के खिलाफ बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, उसमें 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले युद्ध दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित थीं. विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से कम से कम 11,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और हिंसा को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा कड़े कानून लागू किए गए हैं.