क्या नोट छाप कर आर्थिक संकट से बाहर नहीं निकल सकता है पाकिस्तान, जानें क्यों नहीं उठा रहा ये कदम

Economic Crisis: दुनिया भर में कई सारे देश हैं जो इस समय आर्थिक संकट की चुनौती का सामना कर रहे हैं जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. मौजूदा स्थिति में कई बार खबर सामने आती है कि पाकिस्तान में बुनियादी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं.

Vineet Kumar

Economic Crisis: दुनिया भर में कई सारे देश हैं जो इस समय आर्थिक संकट की चुनौती का सामना कर रहे हैं जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है. मौजूदा स्थिति में कई बार खबर सामने आती है कि पाकिस्तान में बुनियादी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. किसी भी देश के लिए आर्थिक संकट एक गंभीर चुनौती होती है. ऐसे वक्त में कई बार आसान रास्ता ढूंढते हुए मुद्रा (Currency) छापने का सुझाव आता है. लेकिन क्या यह वास्तव में आर्थिक संकट से उबारने का सही तरीका है? इसका जवाब है - नहीं. मुद्रा (Currency)छापना न सिर्फ समस्या का समाधान नहीं करता, बल्कि और गंभीर परिणाम ला सकता है. 

कैसे करेंसी छापने से बदतर हो सकती है अर्थव्यवस्था?

1. मुद्रास्फीति का राक्षस: जब अचानक बाजार में अधिक मुद्रा (Currency)आ जाती है, तो उसकी ख़रीद शक्ति कम हो जाती है. इसका सीधा अर्थ है चीजों के दाम बढ़ना. यानी मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ जाती है. आम लोगों की क्रय शक्ति घटती है, जिससे आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ती हैं और बेरोजगारी बढ़ती है. 

2. आयात पर निर्भरता का दंश: अगर किसी देश का उत्पादन कम है और वो आयात पर निर्भर है, तो मुद्रा (Currency)छापने से उसकी परचेजिंग पावर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कम हो जाती है. उसे ज्यादा मुद्रा (Currency)देकर वही सामान खरीदना पड़ता है, जिससे विदेशी मुद्रा (Foreign Currency)भंडार कम होता है. इससे आयात प्रभावित होता है, जो आर्थिक विकास को बाधित करता है.

3. निवेश और भरोसे का पलायन: जब मुद्रा (Currency)छापने से मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता कम होती है. इससे विदेशी निवेश कम होता है और घरेलू निवेशक भी असुरक्षित महसूस करते हैं. निवेश के कम होने से आर्थिक विकास प्रभावित होता है.

4. कालाबाजारी को बढ़ावा: मुद्रा (Currency)की अधिक उपलब्धता से कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है. जरूरी सामानों की कालाबाजारी आम लोगों को परेशान करती है और अर्थव्यवस्था को अनियमित बनाती है.

आर्थिक संकट से उबरने का क्या उपाय है?

मुद्रा छापने के बजाय आर्थिक संकट से उबरने के लिए दीर्घकालिक और टिकाऊ उपायों पर ध्यान देना चाहिए. इसके कुछ इस प्रकार हैं-

  • उत्पादन बढ़ाना: कृषि और उद्योग को बढ़ावा देकर उत्पादन क्षमता बढ़ाना जरूरी है. इससे रोजगार पैदा होंगे और अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी.
  • निर्यात को बढ़ावा: निर्यात को बढ़ावा देकर विदेशी मुद्रा (Currency)भंडार को मजबूत बनाना चाहिए. इससे आयात सुलभ होगा और आर्थिक विकास को गति मिलेगी.
  • राजकोषीय घाटा कम करना: सरकार को अपने ख़र्च कम करके राजकोषीय घाटा कम करना चाहिए. इससे मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी और अर्थव्यवस्था स्थिर होगी.
  • निवेश को बढ़ावा देना: घरेलू और विदेशी निवेश को बढ़ावा देकर पूंजी निर्माण करना चाहिए. इससे बुनियादी ढाँचा मजबूत होगा और आर्थिक विकास को गति मिलेगी.

अंत में ये साफ कर दें कि मुद्रा (Currency)छापना आर्थिक संकट का समाधान नहीं, बल्कि समस्या को और गहरा कर सकता है. टिकाऊ समाधान के लिए उत्पादन बढ़ाना, निर्यात को बढ़ावा देना, राजकोषीय घाटा कम करना और निवेश को बढ़ावा देना जैसे उपाय करने चाहिए. तभी देश आर्थिक संकट से उबर सकता है और विकास की राह पर आगे बढ़ सकता है.