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'न कपड़े, न जेवर, न सामान,' बांग्लादेश में 2 दशक तक सत्ता की हनक, फिर भी कुछ लेकर नहीं आ पाईं शेख हसीना

शेख हसीना, अगर महज 45 मिनट के भीतर ढाका में बने प्रधानमंत्री आवास से बाहर नहीं भागतीं तो प्रदर्शनकारी उनकी जान तक ले सकते थे. उनमें इतना आक्रोश था कि बांग्लादेश के पितामह कहे जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को हथौड़े से तोड़ रहे थे. अगर शेख हसीना भी वहां रुक जातीं तो उनके साथ कुछ भी हो सकता था.

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Edited By: India Daily Live
Sheikh Hasina
Courtesy: Social Media

बांग्लादेश में तख्तापलट की आशंका और जन विद्रोह के बीच शेख हसीना ऐसी डरीं कि उन्होंने कपड़े-गहने सब छोड़कर भारत भागना ज्यादा सही समझा. सोमवार को उन्होंने इमरेजेंसी मोड में भारत से मदद मांगी, जिसके बाद जो हाथ लगा, वही लेकर महज 45 मिनट के भीतर प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत आ गईं. 

शेख हसीना इतनी डर गई थीं कि उन्होंने अपने साथ कपड़े भी नहीं लिए थे. जो हाथ लगा, वही लेकर वे भारत आ गईं. शेख हसीना को भारत आने के लिए सिर्फ 45 मिनट का वक्त दिया गया था. बांग्लादेश की सेना ने उनसे आगाह किया था कि देश छोड़ दीजिए. आक्रोशित भीड़, उनके साथ कुछ भी कर सकती थी. 

आनन-फानन में भारत आईं थीं शेख हसीना

शेख हसीना, अपनी बहन शेख रिहाना के साथ भागकर मिलिट्री ट्रांसपोर्ट जेट से हिंडन एयरबेस तक पहुंची. उन्होंने भारत को एक शॉर्ट नोटिस भेजा, जिसके बाद उनके सुरक्षित लैंडिंग की व्यवस्था भारत ने करा दी. उन्हें भी अपने पिता की तरह मौत का डर सता रहा था.

तालिबानियों की तरह हो गई थी भीड़

शेख हसीना की टीम भी बेहद हैरान थी, उसे हर हाल में भारत छोड़ना था. भीड़ प्रधानमंत्री आवास के बेहद नजदीक आ गई थी. जब भीड़ प्रधानमंत्री आवास में दाखिल हुई तो वही नजारा नजर आया कि जैसे तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता में आने के बाद दिखाया था.

जो हाथ लगा, भीड़ ने लूट लिया

पागल भीड़, प्रधानमंत्री आवास में घुस गई थी. किसी ने किचन लूटा, किसी ने फ्रिज लूट लिया. साड़ी, कपड़े और गहनों के साथ-साथ ब्रा और पैंटी जैसे कपड़ों के साथ जो फूहड़ता दिखाई, वह वहां के इतिहास पर धब्बे की तरह याद दिया जाएगा. बांग्लादेश के दामन से यह दाग कभी मिटने वाला नहीं है. 

कपड़े तक नहीं पैक कर पाई शेख हसीना की टीम

शेख हसीना का स्टाफ किसी तरह से उनके लिए कपड़े और डेली इस्तेमाल करने वाली चीजों को लेकर आया. उनके आने के 48 घंटे बीत गए हैं. शेख हसीना और उनकी टीम, हिंडन एयरबेस के पास एक सेफ हाउस में टिकी है. भारत उन्हें तब तक शरण देगा, जब तक उन्हें कहीं और शरण नहीं मिल जाता है.  

आज गठित होगी अंतरिम सरकार

भारत के सुरक्षाकर्मी और प्रोटोकॉल अधिकारी उन्हें सदमे से बाहर निकालने की कोशिशें कर रहे हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ही सबसे पहले शेख हसीना से मिलने पहुंचे थे. बांग्लादेश में अस्थिरता है. वहां के अंतरिम सरकार का गठन होने वाला है, जिसका नेतृत्व मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं.