ISKCON Priest Bail Plea: बांग्लादेश की एक अदालत ने गुरुवार को इस्कॉन के पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज कर दी है. यह मामला देशद्रोह का है जिसमें उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है. चिन्मय कृष्ण दास की ओर से 11 वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत के लिए बहस की, लेकिन अदालत ने यह याचिका खारिज कर दी.
पिछले साल 3 दिसंबर को चिटगांव की एक अदालत ने अभियोजन पक्ष की याचिका के आधार पर 2 जनवरी को सुनवाई की तारीख तय की थी. उस समय चिन्मय के पक्ष में कोई वकील मौजूद नहीं था. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशंस जज मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने दोनों पक्षों की 30 मिनट तक दलीलें सुनीं और फिर जमानत याचिका खारिज कर दी. न्यायाधीश ने कहा कि अगर चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ अपराध साबित होता है, तो उन्हें आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में जमानत संभव नहीं है."
यह मामला तब सामने आया जब 25 अक्टूबर को चिटगांव में चिन्मय कृष्ण दास पर आरोप लगा कि उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा ध्वज फहराया था. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जिससे 25 नवंबर को भारी विरोध और झड़पें हुईं. 27 नवंबर को उनके अनुयायियों ने चटगांव अदालत भवन के बाहर पुलिस से झड़प की, जिसमें एक वकील की मौत हो गई. इसके बाद, इस्कॉन कोलकाता के अनुसार, 29 नवंबर को आदिपुरुष श्याम दास और रंगनाथ दास ब्रह्मचारी नाम के दो साधुओं को चिन्मय कृष्ण दास से मिलने के बाद हिरासत में लिया गया.
अब चिन्मय कृष्ण दास के वकील रवींद्र घोष ने कहा है कि वे बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट की हाईकोर्ट डिवीजन में इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे. उन्होंने कहा, "संभवतः अदालत में कुछ गड़बड़ी हुई है, जिसके कारण जमानत याचिका खारिज की गई."
उन्होंने आगे कहा, "हम उनके लिए न्याय लाएंगे और जब तक जमानत नहीं मिलती, तब तक लड़ाई जारी रहेगी. फैसले की प्रमाणित प्रति दी जानी चाहिए. मैं कोलकाता के एक अस्पताल में इलाज करवा रहा हूं और जल्द ही अपने कानूनी सलाहकार से बात करूंगा."