Red Sea News: अमेरिका ने हाल ही में लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को ईरान समर्थित उपद्रवियों से बचाने के लिए मल्टीनेशनल टास्क फोर्स बनाने का निर्णय लिया है. अमेरिका के ऑपरेशन प्रॉस्पोरिटी गार्जियन को लेकर अरब दुनिया में कोई उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है. लाल सागर में जहाजों पर हूतियों के हमले को देखते हुए अरब देश भी सशंकित हैं लेकिन वे अमेरिका की इस पहल में शामिल होने में परहेज करते दिख रहे हैं. मुस्लिम देशों का मानना है कि इस टास्क फोर्स के गठन से अमेरिका के सबसे क्लोज अलायंस इजरायल को फायदा होगा. इसमें शामिल होना इस्लामिक दुनिया में उनकी छवि को कमजोर करने जैसा होगा. इसके बाबजूद इस्लामिक देश बहरीन ने कहा कि वह अमेरिका की इस टास्क फोर्स के साथ खड़ा है.
नौसेनाओं के इस गठबंधन का उद्देश्य रेड सी और अदन की खाड़ी में जहाजों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है. इसमें 20 देशों को भागीदार बनाया गया है. वहीं, 12 देशों को सार्वजनिक रूप से नामांकित किया गया है. इसमें एकमात्र अरब देश बहरीन को शामिल किया गया है. आपको बता दें कि अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने इस टास्क फोर्स के गठन की घोषणा बहरीन की राजधानी मनामा से ही की थी. अमेरिका के इस टास्क फोर्स में कनाडा, फ्रांस, ग्रीस, इटली, डेनमार्क, नीदरलैंड, नॉर्वे, सेशेल्स और यूके शामिल हैं.
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि यह टास्क फोर्स 153 कमांड के तहत महत्वपूर्ण बहुराष्ट्रीय सुरक्षा पहल है. यह मुख्यत: लाल सागर में सुरक्षा पर केंद्रित है.इस टास्क फोर्स के ऐलान के वक्त जारी बयान के मुताबिक, रेड सी में व्यापारिक जहाजों के ऊपर हमले का बड़ा खतरा है. इसका लक्ष्य अमेरिकी नेतृत्व में समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना और उसे बनाए रखना है. इसका उद्देश्य सभी देशों के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि को मजबूत करना है.
अमेरिकी रक्षा मंत्री की घोषणा के बाद बहरीन ने इस पर स्वतंत्र तौर से कोई बयान नहीं दिया. बहरीन की समाचार एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि बहरीन किंग हमद बिन ईसा अल खलीफा ने अमेरिका के साथ अपने संबंधों पर गर्व व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच स्थापित यह संबंध विश्वास, सम्मान, और समन्वय पर आधारित रहे हैं.