अयोध्या से पारिवारिक बंधन; राम मंदिर के उद्घाटन पर दक्षिण कोरिया ने कुछ ऐसे जताई खुशी
दक्षिण कोरिया ने मंगलवार को अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन पर भारत को बधाई दी. साथ ही दोनों देशों के बीच प्राचीन संबंधों के बारे में भी जानकारी शेयर की है.
Ayodhya Ke ram: अयोध्या में सोमवार को भव्य श्री राम मंदिर का उद्घाटन और गर्भगृह में रामलला के श्रीविग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हो रहा था, उधर दक्षिण कोरिया में इसी राम मंदिर के लिए जशन मनाया जा रहा था. भारत में दक्षिणा कोरिया के राजदूत ने इसको लेकर सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म एक्स पर एक पोस्ट भी शेयर किया है. पोस्ट में कहा गया है कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का उद्घाटन समारोह परिवार में समारोह जैसा लग रहा है. तो आइए जानते हैं अयोध्या का दक्षिण कोरिया से आखिर क्या संबंध है?
जानकारी के मुताबिक, दक्षिण कोरिया ने मंगलवार को अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन पर भारत को बधाई दी. साथ ही दोनों देशों के बीच प्राचीन संबंधों के बारे में भी जानकारी शेयर की है. भारत में कोरियाई दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा है कि अयोध्या में राममंदिर के प्रतिष्ठापन समारोह के लिए बधाई. यह स्थान 48 ई. में अयोध्या की श्रीरत्न (हियो ह्वांग-ओके) और गया (कोरिया) से राजा किम सुरो के बीच वैवाहिक संबंध का आधार है. कहा गया है कि कोरिया-भारत संबंधों के लिए अयोध्या एक बड़ा प्रतीकात्मक महत्व रखता है.
शादी से पहले अयोध्या की रानी थी हियो ह्वांग-ओक
सोशल मीडिया की पोस्ट में उम्मीद जताई है कि दोनों देशों के बीच आध्यात्मिक व परिवारिक संबंध और गहरे होते होंगे. ये संबंध भगवान राम के मर्यादा पुरूषोत्तम के रूप में व्यक्त आदर्शवाद से प्रेरित हैं. बताया जाता है कि रानी हियो ह्वांग-ओक, जिन्हें राजकुमारी सुरीरत्ना के नाम से भी जाना जाता है, वो 48 ईस्वी में कारक कबीले के राजा किम सुरो से शादी करने से पहले अयोध्या की राजकुमारी थीं. इस वैवाहिक संबंध को दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की आधारशिला के रूप में देखा जाता है.
कोरियाई ग्रंथ सैमगुक युसा में है रानी हियो ह्वांग-ओक का वर्णन
रानी हियो ह्वांग-ओक की कहानी प्राचीन कोरियाई काव्य "सैमगुक युसा" में भी वर्णित है, जिसमें राजा सुरो की पत्नी को दूर के राज्य अयुता की राजकुमारी के रूप में वर्णित किया गया है. इसी आयुता राज्य को आज अयोध्या के नाम जाना जाता है. रानी का स्मारक जो पहली बार साल 2001 में अयोध्या में स्थापित किया गया था, इस साझा इतिहास के प्रमाण का एक रूप में है. रानी की विरासत का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने साल 2015 में पीएम मोदी की दक्षिण कोरिया यात्रा के दौरान स्मारक का विस्तार करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. सुशोभित मेमोरियल पार्क का उद्घाटन 2022 में किया गया था.
कारक वंश के 60 लाख लोग अयोध्या को मानते हैं अपनी मात्रभूमि
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के अनुसार, कारक वंश के करीब 60 लाख लोग अयोध्या को अपनी मातृभूमि मानते हैं. यह भावना नवंबर 2018 में रेखांकित हुई जब तत्कालीन दक्षिण कोरियाई प्रथम महिला किम जंग-सूक ने भारत की एकल यात्रा की. अपने चार दिवसीय प्रवास के दौरान उन्होंने अयोध्या में सरयू नदी के तट पर स्थित स्मारक का दौरा किया और राजकुमारी सुरीरत्ना को श्रद्धांजलि दी. इन्हें कोरिया में रानी हियो ह्वांग-ओक के रूप में याद किया जाता है.