Ayodhya Ke Ram: देशवासियों को 22 जनवरी का बेसब्री से इंतजार है. ये तारीख इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज होने वाली है, जिसे कभी नहीं भुलाया जाएगा. 22 जनवरी का प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा है. पूरा देश इस समय राममय हो गया. देश ही नहीं राम की गूंज तो विदेशों में भी है. कई ऐसे देश हैं जिनके यहां राम सांस्कृतिक धरोहर है. इन्हीं देशों में एक ऐसा मुस्लिम देश है, जिसकी 90 फीसदी आबादी मुस्लिम है. मुस्लिम राष्ट्र होने के बावजूद वहां के हर घर में राम लला की परछाई देखने को मिलती है. ये देश कोई नहीं बल्कि दक्षिण पूर्व एशिया में 23 करोड़ की आबादी वाला इंडोनेशिया है. इंडोनेशिया मुस्लिम आबादी वाला दुनिया का सबसे बड़े देश हैं. अयोध्या की चर्चा आज इंडोनेशिया में हो रही है. ये कोई ताजुक वाली बात नहीं है. क्योंकि प्रभु श्रीराम इंडोनेशिया की संस्कृति विरासत में विद्मान हैं.
1973 में हुआ था अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन
इंडोनेशिया हमेशा से अपने राम के लिए जाना जाता रहा है. 1973 में इंडोनेशिया की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन का आयोजन भी किया था. इस सम्मेलन ने खूब वाहवाही लूटी थी. क्योंकि पहली बार कोई घोषित मुस्लिम राष्ट्र दूसरे धर्म के धार्मिक ग्रंथ के सम्मान में कोई आयोजन किया था.
पत्थरों में रामकथा की नक्काशी
इंडोनेशिया में रामायण का इतना गहरा प्रभाव है कि आपको वहां के पत्थरों में दीवारों में नक्काशी पर रामकथा के चित्र आसानी से दिख जाएंगे. भारत में राम की नगरी अयोध्या के नाम से जानी जाती है. वहीं, इंडोनेशिया में राम की नगरी को योग्या के नाम से जाना जाता है. इंडोनेशिया में राम कथा को ‘काकावीन रामायण’ के नाम से जाना जाता है.
नौसेना के अध्यक्ष लक्ष्मण
इंडोनेशिया के रामायण में लक्ष्मण को नौसेना का अध्यक्ष कहा जाता है. वहीं मां सीता को सिंता. हनुमान जी की बात करें तो भारत की ही तरह इंडोनेशिया के रामायण में भी हनुमान जी सबसे लोकप्रिय और चर्चित पात्र हैं. वहां उन्हें अनोमान कहा जाता है. इंडोनेशिया की आजादी वाले दिन यानी 27 दिसंबर को लोग राजधानी जकार्ता की सड़को पर हनुमान जी का वेश धारण करके परेड करते हैं.