Ayatollah Khomeini: साल 1979 में ईरान को इस्लामिक देश घोषित करने और फिर शरिया कानून लागू करने और धार्मिक विद्वान के रूप में अपनी पहचान रखने वाले अयातुल्ला खुमैनी ने ही साल 1989 में 12 फरवरी को पाकिस्तान में छह लोगों की हत्या होने के बाद सलमान रुश्दी को मारने के लिए एक फतवा जारी किया था.
खुमैनी ईरान ने साल 1979 में ईरान को दुनिया का पहला इस्लामिक गणराज्य बनाया था. उन्हें पहले रुहुल्लाह खुमैनी के नाम से जाना जाता था. हालांकि, 1920 के दशक में वह अयातुल्ला बन गए. अयातुल्ला एक प्रमुख शिया विद्वान के लिए एक शब्द है और इसी के बाद से उनकी पहचान अयातुल्ला खुमैनी के नाम से होने लगी.
साल 1962 में उन्हें शाह के पश्चिम-समर्थक शासन के मुखर विरोध के लिए शाह की सुरक्षा सेवा ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. इस गिरफ्तारी के बाद उन्हें राष्ट्रीय नायक का दर्जा मिला और फिर 1964 में उन्हें देश निकाला कर दिया गया और वह तुर्की, इराक और फ्रांस में रहे. इस दौरान उन्होंने अपने समर्थकों से शाह को उखाड़ फेंकने के लिए आग्रह किया था.
साल था 1979 जब शाह की सरकार गिर गई और उनका परिवार सहित देश निकाला किया गया. इसके बाद 1 फरवरी को खुमैनी वापस ईरान लौटे. इसके बाद उन्होंने एक इस्लामी गणतंत्र की घोषणा की और उन्हें ईरान का राजनीतिक और धार्मिक नेता नियुक्त किया गया. इसके बाद देश में इस्लामिक कानून लागू किया गया. इसके बाद उसी साल नवंबर में अमेरिकी प्रभाव की ओर से उनकी निंदा किए जाने के कारण उग्रवादी इस्लामिक छात्रों ने तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर हमला किया और फिर कुछ अमेरिकी बंधकों को एक वर्ष से ज्यादा समय तक कैद रखा गया.
साल 1980 में शट्ट अल-अरब जलमार्ग पर क्षेत्रीय विवाद के चलते इराक ने ईरान पर आक्रमण शुरू किया जिसके बाद 8 साल तक युद्ध चला. इस युद्ध में आधे से डेढ़ मिलियन लोग मारे गए. इस युद्ध ने ईरान में इस्लामी क्रांति के कुछ उत्साह को खत्म किया और कुछ ईरानियों ने अपने नेताओं की क्षमताओं पर सवाल उठाया. इसके बाद फरवरी 1989 में खुमैनी ने एक फतवा जारी किया और फिर एक अंतरराष्ट्रीय विवाद को जन्म दिया. अपने फतवे में मुसलमानों को उनके उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज के लिए लेखक सलमान रुश्दी को मारने का आदेश दिया गया था. हालांकि बाद में ईरान की सरकार ने इसे अपना निजी विचार बताया था.