बिना दिल के 100 दिनों तक जिंदा रहा शख्स, आर्टिफीशियल हार्ट की मदद से घर वापसी कर रचा इतिहास, जानें क्यो ये इंसान है खास
Australian man becomes first in world discharged with artificial heart: ऑस्ट्रेलिया के हार्ट पेशेंट ने 100 दिनों तक आर्टिफिशियल दिल के साथ जीने का रिकॉर्ड बना दिया है.
Australian man becomes first in world discharged with artificial heart: दुनिया में तेजी के साथ परिवर्तन हो रहा है. परिवर्तन के इस दौरन मे टेक्नोलॉजी इतनी विकसित हो गई है कि इंसानों के इलाज में भी यह बहुत बड़ा योगदान दे रही है. आर्टीफीशियल अंगों की मदद से इंसानों को जिंदा रखा जा रहा है. एक ऐसी ही खबर ऑस्ट्रेलिया से आई है. जहां एक 40 वर्षीय व्यक्ति को आर्टिफिशिलय हार्ट की मदद से 100 दिनों तक जिंदा रखा गया. आर्टिफिशियल हार्ट के साथ 100 दिन से अधिक समय तक जीने के बाद शख्स अस्पताल से बाहर कदम रखा. यह पहला अवसर है जब कोई व्यक्ति एक पूर्ण कृत्रिम हृदय (Total Artificial Heart) के साथ अस्पताल से बाहर आया है.
शख्स को डोनर नहीं मिल रहा था. इसलिए डॉक्टरों ने 100 दिनों तक उसे ऑर्टिफिशियल हार्ट के सहारे जिंदा रखा. डोनर हार्ट मिलने के बाद उसकी सफल सर्जरी की गई और फिर कुछ दिनों बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दी गई. यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. आज से पहले शायद ही कहीं ऐसा हुआ हो कि कोई व्यक्ति आर्टिफिशियल हार्ट के साथ 100 दिनं तक जीवित रहा हो.
इस व्यक्ति ने अपनी सर्जरी 22 नवंबर को सिडनी के सेंट विंसेंट्स अस्पताल में करवाई थी. इस प्रक्रिया में छह घंटे का समय लगा और इसे प्रसिद्ध कार्डियोटॉरेसिक और ट्रांसप्लांट सर्जन पॉल जांज ने नेतृत्व किया. अस्पताल में उसकी स्थिति की लगातार निगरानी की गई और वह 100 दिन से अधिक समय तक इस कृत्रिम हृदय (ऑर्टिफिशियल हार्ट) के साथ जीवित रहा, जो कि एक बड़ी सफलता मानी जा रही है.
BiVACOR ऑर्टिफिशियल हार्ट को किसने बनाया
BiVACOR ऑर्टिफिशियल हार्ट को क्वींसलैंड के डॉ. डैनियल टिम्स द्वारा विकसित किया गया है. यह दुनिया का पहला इम्प्लांटेबल रोटरी ब्लड पंप है जो पूरी तरह से मानव हृदय की जगह ले सकता है. इस हृदय में चुंबकीय लेविटेशन तकनीक का उपयोग किया गया है, जो एक स्वस्थ हृदय के प्राकृतिक रक्त प्रवाह को अनुकरण करता है. इस तकनीक के कारण रक्त का प्रवाह स्वाभाविक रूप से चलता है, जो रोगी के शरीर के लिए सहायक होता है.
वैश्विक स्तर पर हृदय रोगी
ऑस्ट्रेलियाई सरकार के अनुसार, हर साल दुनिया भर में 23 मिलियन से अधिक लोग हृदय विफलता (Heart Failure) से प्रभावित होते हैं, लेकिन इनमें से केवल लगभग 6,000 लोग ही डोनर हृदय प्राप्त कर पाते हैं. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इस कृत्रिम हृदय की डिवाइस को विकसित और कमर्शियलाइज करने के लिए 50 मिलियन डॉलर का फंड आवंटित किया है.
किसके लिए जीवनदान है यह आर्टिफिशियल हार्ट
यह कृत्रिम हृदय विशेष रूप से उन रोगियों के लिए डिजाइन किया गया है जिन्हें अंतःस्थिति बिवेंट्रिकुलर हार्ट फेलियर (End-Stage Biventricular Heart Failure) जैसी गंभीर हृदय समस्या है. यह स्थिति अक्सर दिल के दौरे, कोरोनरी आर्टरी डिजीज या डायबिटीज जैसी बीमारियों के कारण उत्पन्न होती है, जिससे हृदय रक्त को प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता.