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India Daily

कराची जेल में एक और भारतीय मछुआरे की मौत, दो साल में आठवीं मौत

पाकिस्तान की कराची जेल में बंद एक और भारतीय मछुआरे की दर्दनाक मौत का मामला सामने आया है. आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को इस दुखद खबर की पुष्टि की. मछुआरे की पहचान बाबू के रूप में हुई है, जिनकी बृहस्पतिवार को कराची जेल में मौत हो गई.

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Edited By: Garima Singh
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Courtesy: x

नयी दिल्ली, 24 जनवरी। पाकिस्तान की कराची जेल में बंद एक और भारतीय मछुआरे की दर्दनाक मौत का मामला सामने आया है. आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को इस दुखद खबर की पुष्टि की. मछुआरे की पहचान बाबू के रूप में हुई है, जिनकी बृहस्पतिवार को कराची जेल में मौत हो गई.

सूत्रों के अनुसार, बाबू को 2022 में पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया गया था. सबसे चिंताजनक बात यह है कि उनकी सजा पूरी होने और भारतीय राष्ट्रीयता की पुष्टि होने के बावजूद, उन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा रिहा नहीं किया गया. इस घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान में भारतीय कैदियों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक सूत्र ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘बाबू को 2022 में पाकिस्तानी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था. उसकी सजा पूरी होने और उसकी भारतीय राष्ट्रीयता की पुष्टि होने के बावजूद उसे पाकिस्तानी अधिकारियों ने रिहा नहीं किया.'

दो वर्षों में आठवां मामला

यह पिछले दो वर्षों में पाकिस्तान में किसी भारतीय मछुआरे की मौत का आठवां मामला है. यह आंकड़ा पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय मछुआरों की दयनीय स्थिति को दर्शाता है. लगातार हो रही मौतों ने भारत सरकार और मानवाधिकार संगठनों की चिंता बढ़ा दी है.

180 मछुआरे रिहाई का इंतजार

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वर्तमान में लगभग 180 भारतीय मछुआरे ऐसे हैं जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं, लेकिन वे अभी भी पाकिस्तानी जेलों में कैद हैं और रिहाई का इंतजार कर रहे हैं. यह स्थिति मानवीय दृष्टिकोण से बेहद चिंताजनक है.

भारत का लगातार प्रयास

भारत सरकार लगातार पाकिस्तान के समक्ष इस मुद्दे को उठाती रही है और कैदियों की शीघ्र रिहाई की मांग करती रही है. हालांकि, अभी तक इस दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है. इस घटना ने दोनों देशों के बीच कैदियों के मुद्दे को और भी संवेदनशील बना दिया है.

मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता

इस घटना ने एक बार फिर मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया है। सजा पूरी होने के बाद भी कैदियों को रिहा न करना मानवाधिकारों का उल्लंघन है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि भारतीय मछुआरों को न्याय मिल सके.

(इस खबर को इंडिया डेली लाइव की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)