America Increase Tariff from 26 Percent to 27 Percent: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 26% टैरिफ लगाए जाने की घोषणा के बाद, व्हाइट हाउस ने इसे बढ़ाकर 27% कर दिया. यह बदलाव कई देशों पर लागू होने वाले प्रतिवादी टैरिफ (Reciprocal Tariffs) के नए आंकड़ों में देखा गया है. ट्रंप के बयान के बाद, व्हाइट हाउस ने इस टैरिफ दर को एक प्रतिशत बढ़ाकर 27% कर दिया. यह निर्णय सिर्फ भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि दुनिया के अन्य देशों पर भी इसके प्रभाव पड़े हैं.
व्हाइट हाउस ने क्यों बढ़ाया टैरिफ?
जब ट्रंप ने पहले 26% टैरिफ की बात की थी, तब यह उम्मीद जताई जा रही थी कि यह दर स्थिर रहेगी. लेकिन अब, व्हाइट हाउस ने इसे बढ़ाकर 27% कर दिया है. इसके अलावा, यह नया टैरिफ कई अन्य देशों पर भी लागू हुआ है, जिनमें पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, बोटस्वाना, कैमरून, मलावी, निकारागुआ, नॉर्वे, फिलीपींस, सर्बिया, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड और कुछ द्वीप राष्ट्रों जैसे वानुआतू और फॉकलैंड द्वीप भी शामिल हैं.
ब्लूमबर्ग द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट हाउस ने इन देशों के लिए जो नए टैरिफ दर जारी किए हैं, उनमें बदलाव हुआ है. कुछ देशों के लिए यह दर एक प्रतिशत बढ़ी है, जबकि कुछ के लिए यह पहले से तय दर के बराबर है.
ट्रंप का तर्क: व्यापार असंतुलन को ठीक करना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस कदम को व्यापार असंतुलन को ठीक करने की योजना के तहत लिया. उनका कहना था कि भारत अमेरिकी माल पर भारी आयात शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिका भारत से आने वाले उत्पादों पर बहुत कम शुल्क लेता है. ट्रंप ने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है.
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अपनी बात रखते हुए कहा, “भारत बहुत कड़ा है. प्रधानमंत्री मोदी मेरे अच्छे दोस्त हैं, लेकिन मैंने उनसे कहा कि तुम हमें सही तरीके से व्यवहार नहीं कर रहे हो. वे हमसे 52% शुल्क लेते हैं, जबकि हम उनसे सालों साल कुछ नहीं लेते थे, और यह सब तब बदला जब मैं सात साल पहले यहां आया था, और हम चीन के साथ इस मुद्दे पर काम कर रहे थे.”
क्या यह भारत के खिलाफ भेदभाव है?
भारत पर बढ़ाए गए टैरिफ को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जिसमें प्रमुख सवाल यह है कि क्या यह अमेरिका का भारत के खिलाफ भेदभावपूर्ण कदम है? दरअसल, ट्रंप का आरोप है कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाया है, जबकि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर कम शुल्क लेता है. हालांकि, यह तर्क कुछ हद तक सही हो सकता है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या अमेरिका को व्यापार असंतुलन को सुधारने के लिए सिर्फ भारत ही निशाना बनाना चाहिए, या फिर अन्य देशों को भी समान रूप से चुनौती दी जानी चाहिए?
इसके अलावा, इस कदम को लेकर कुछ विश्लेषक यह मानते हैं कि अमेरिका का यह कदम कुछ हद तक राजनीतिक भी हो सकता है, क्योंकि ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने व्यक्तिगत रिश्तों को लेकर बात करते रहते हैं. ट्रंप ने मोदी को अपना “महान दोस्त” बताया, लेकिन फिर भी व्यापार के मसले पर भारत को चुनौती दी. इस स्थिति में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह कदम व्यापारिक कारणों से लिया गया है या फिर किसी अन्य कारण से.