India Algeria Relations: भारत और अल्जीरिया के राजनयिक फैसलों के कारण देश को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है. अल्जीरिया में काम कर रही भारतीय कंपनियों के लिए यह मुश्किल खड़ी होती दिख रही है. सारा विवाद ब्रिक्स की सदस्यता से जुड़ा हुआ है. 2022 में अल्जीरियाई राष्ट्रपति अब्देल माजिद तेब्बौने ने घोषणा कि उनका देश ब्रिक्स में शामल होना चाहता है. जानकारी के मुताबिक, अल्जीरिया चीन और रूस के साथ अपने आर्थिक संबंधों को विस्तार देना चाहता था. इस कारण वह इस समूह में शामिल होने की आकांक्षा व्यक्त कर रहा था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अल्जीरियाई प्रेसिडेंट ब्रिक्स में शामिल होने को लेकर खासा उत्साहित थे. यहां तक कि उन्होंने यह घोषणा कर दी थी कि 2023 में अल्जीरिया ब्रिक्स देशों के समूह में शामिल हो जाएगा. ब्रिक्स समूह में शामिल होने को लेकर वह रूस और चीन को अपने पक्ष में लाने में कामयाब रहा. अगस्त 2023 में छह देशों को इसमें शामिल करने का न्यौता भेजा गया. हालांकि इस न्यौते में अल्जीरिया का नाम नहीं था. उसका नाम न होना अल्जीरियाई सरकार ने अपनी विफलता के तौर पर देखा.
रिपोर्ट के अनुसार, अल्जीरिया ने खुद को ब्रिक्स का हिस्सा न बनने पर खुद को एक बड़ी हार के तौर पर देखा. यह अपमान तब और भी ज्यादा हो गया जब इथियोपिया जैसा गरीब देश इस समूह का सदस्य बन गया. इस घटनाक्रम ने पूरे तनाव को जन्म दिया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस समूह को चीन के नेतृत्व में पश्चिम विरोध के तौर पर नहीं प्रदर्शित करना चाहता था. अन्य मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नाइजर में तख्तापलट के कारण फ्रांस के कहने पर भारत ने अल्जीरिया की एंट्री को रोक दिया.
भारत सरकार के इस फैसले का असर भारतीय कंपनी लार्सन एंड ट्रुबो ( L&T) पर सबसे ज्यादा पड़ा है. रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कंपनी अल्जीरियाई कंपनी सोनाट्रैक के साथ 1.5 अरब डॉलर गैस के लिए बिडिंग कर रही थी. भारत की कंपनी इस अनुबंध को जीतने ही वाली थी. लेकिन इस टेंडर को रद्द कर दिया गया. इसके पीछे का कारण दोनों देशों के बीच डिप्लोमेटिक टेंशन को बताया गया है. भारत प्राकृतिक गैस के लिए अल्जीरिया के साथ बातचीत कर रहा है.