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हिजाब आंदोलन के बाद ईरान में हुए संसदीय चुनाव, सुप्रीम लीडर ने की खास अपील

Iran Election: हिजाब विरोधी आंदोलन के बाद ईरान में शुक्रवार को आम चुनाव को लेकर मतदान हुआ. चुनावों को लेकर देश के सुप्रीम लीडर ने लोगों से खास अपील की है.

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Edited By: India Daily Live
Iran Supreme leader

Iran Election: ईरान में साल 2022 में व्यापक तौर पर हिजाब विरोधी प्रदर्शन हुए थे. शुक्रवार को देश में संसदीय चुनाव को लेकर सड़कों पर मतदान करने उतरी है. हालांकि वोटर्स ने चुनाव प्रक्रिया में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. इस बीच ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने ईरानी जनता से खास अपील की है. वे सबसे पहले वोट डालने वाले लोगों में से एक रहे. इस वोटिंग के जरिए देश की असेंबली ऑफ एक्सपर्ट के सदस्यों को भी चुना जाएगा.  

खामनेई के पद पर गैर-मौजूदगी में या निधन की स्थिति में नए सर्वोच्च नेता को चुनने की जिम्मेदारी असेंबली ऑफ एक्सपर्ट की होगी. खामनेई की उम्र को देखते हुए असेंबली ऑफ एक्सपर्ट की जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण हो गई है. 

ईरान के सुप्रीम नेता ने पत्रकारों के सामने मतदान किया. खामनेई ने लोगों से जल्द से जल्द चुनाव में मतदान करने की बात कही. उन्होंने कहा कि ईरान के मित्र और शत्रु देश दोनों ही चुनावों पर अपनी नजर बनाए हुए हैं. ईरान की 290 सदस्यीय संसद की सदस्यता के लिए 15000 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. चुनाव के नतीजे शनिवार तक आने की उम्मीद है. ईरानी संसद को इस्लामिक कंसल्टेटिव असेंबली के रूप में भी जाना जाता है. 

रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में 61.2 मिलियन लोग मतदान करने के अधिकारी हैं.  इन चुनावों में एक ओर जहां संसदीय दल के नेताओं को चुना जाएगा. वहीं, दूसरी ओर एक्सपर्ट ऑफ असेंबली का भी चुनाव होगा.  असेंबली ऑफ एक्सपर्ट ईरान की सबसे शक्तिशाली इकाई होती है. यह देश के सुप्रीम लीडर, आर्मी चीफ या ऐसे लोगों का चयन करती है. यह आम लोगों से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय जैसे सामाजिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर निर्णय लेती है. 


ईरानी संसद के सदस्यों का कार्यकाल चार सालों का होता है. इसमें पांच सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं. रिपोर्ट के अनुसार, संसद कार्यकारी शाखा पर नियंत्रण रखती है लेकिन वास्तविक शक्ति सुप्रीम लीडर के पास ही होती है. पुलिस हिरासत में 2022 में 22 वर्षीय युवती महसा अमीनी की मौत के बाद हिजाब पहनने की अनिवार्यता को लेकर व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे.