फ्रांस ने कराई टॉप बेइज्जती, छोटे से अफ्रीकी देश ने ले लिया बड़ा एक्शन 

France News: फ्रांस के लंबे समय तक उपनिवेश रहे अफ्रीकी देश बुर्किना फासो ने बड़ा फैसला करके पेरिस को टेंशन में डाल दिया है. अफ्रीकी देश की सैन्य सरकार ने फ्रांसीसी राजनयिकों को देश छोड़ने के लिए अल्टीमेटम दिया है.

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France News: फ्रांस ने फिर से अफ्रीकी देश में इंटरनेशनल बेइज्जती कराई है. अफ्रीकी देश बुर्किना फासो की सैन्य सरकार ने फ्रांस के तीन राजनयकिों को अवांछित घोषित कर दिया है. जुंटा सरकार ने फ्रांसीसी डिप्लोमेट्स को देश छोड़ने के लिए 48 घंटे का समय दिया है. बुर्किनो फासो का यह कदम पेरिस के लिए एक बड़ा कूटनीतिक झटका माना जा रहा है. 

बुर्किना फासो की राजधानी औगाडौगू ने फ्रांसीसी दूतावास  को लिखे गए पत्र में फ्रांस के राजनयिकों पर बर्बर कृ्त्य करने का आरोप लगाया. हालांकि पत्र में अधिकारियों के बर्बर कृत्य के बारे में विवरण नहीं दिया गया था. बुर्किना फासो के विदेश मंत्रालय ने फ्रांस के ग्वेनिएले हबोजिट और दो राजनीतिक सलाहकारों गुइलाउम रीसाचेर और हर्वे फोरनियर को गुरुवार तक देश छोड़ने का आदेश दिया है. 

2022 में बुर्किना फासो की सेना द्वारा तख्तापलट करके सत्ता संभालने के बाद से पेरिस और औगाडौगू के बीच संबंध काफी खराब हो गए हैं। पिछले साल मार्च में, सरकार ने फ्रांस के साथ 1961 के सैन्य सहायता समझौते को समाप्त कर दिया था, जो पेरिस द्वारा साहेल देश को स्वतंत्रता दिए जाने के बाद से लागू था.

साल 2022 में बुर्किना फासो पर सेना द्वारा सैन्य तख्तापलट होने के बाद पेरिस और गाडौगू के बीच संबंध काफी ज्यादा तल्ख हो गए हैं. बीते साल मार्च में जुंटा शासन ने फ्रांस के साथ साल 1961 के उस मिलिट्री समझौते को रद्द कर दिया था जो साहेल क्षेत्र को स्वतंत्र करने के बाद से लागू था. जुंटा सरकार ने तब ही फ्रांसीसी राजनयिक मिशन और उसकी सेनाओं को वापसी का आदेश दे दिया था. 

साहेल क्षेत्र में रूस के बढ़ते प्रभाव से पश्चिमी देश खासे चिंतित हैं. बुर्किना फासो के सैन्य शासन ने माली के साथ समझौता किया है और रूस के साथ रक्षा साझेदारी पर जोर दिया है. माली और बुर्किना फासो और नाइजर तीनों ही देश फ्रांस के लंबे समय तक उपनिवेश रहे हैं. तीनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करने और रूस की मदद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.