पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच हाल के दिनों में बढ़ते तनाव के बीच, अफ़ग़ान तालिबान ने पाकिस्तान से लगी अपनी सीमा पर सैन्य ताकत बढ़ा दी है. दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष के कारण क्षेत्रीय स्थिति और भी जटिल हो गई है.
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच तेज हुई जंग
JUST IN: Afghan Taliban is mobilizing troops along its border with Pakistan as tensions continue to rise between the two countries. pic.twitter.com/NG8rD8rciW
— BRICS News (@BRICSinfo) December 30, 2024
13 पाकिस्तानी सैनिकों को उतारा मौत के घाट
असत्यापित सूत्रों से पता चला है कि पाकिस्तानी तालिबान ने विवादित खैबर-पख्तूनख्वा में सेना की स्थिति पर कब्जा कर लिया और अमेरिकी राइफलों को लहराते हुए 13 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला.
⚡️Pakistani Taliban seize army position in disputed Khyber-Pakhtunkhwa, flaunt US rifles and kill 13 soldiers — unverified reports
— RT (@RT_com) December 30, 2024
Afghan Taliban also seen amassing forces near Pakistan border https://t.co/PiZWzZ5ISN pic.twitter.com/4HXU2ChSWo
पाकिस्तान और अफ़ग़ान तालिबान का इतिहास
पाकिस्तान और अफ़ग़ान तालिबान के बीच एक जटिल इतिहास रहा है. 1996 में तालिबान की सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान ने उसे महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की थी, जिसमें आश्रय, धन और कूटनीतिक समर्थन शामिल था. 9/11 हमलों के बाद, अफ़ग़ान तालिबान के कई नेता पाकिस्तान में शरण लेने के लिए पहुंचे. हालांकि, इस दौरान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तान में हिंसक अभियान शुरू कर दिया. टीटीपी का गठन पाकिस्तान के तालिबान गुट ने किया था, जो पाकिस्तान सरकार के खिलाफ सक्रिय था. पाकिस्तान ने कई सैन्य अभियानों के माध्यम से टीटीपी का मुकाबला किया, लेकिन तालिबान को पाकिस्तान की सीमाओं से अफ़ग़ानिस्तान में शरण मिली.
अफ़ग़ान तालिबान का टीटीपी और अन्य समूहों के साथ संबंध
अफ़ग़ान तालिबान ने 2021 में काबुल पर फिर से नियंत्रण हासिल किया. इसके बाद पाकिस्तान ने उम्मीद जताई थी कि तालिबान अपने ऐतिहासिक संबंधों का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान के खिलाफ होने वाली टीटीपी गतिविधियों को रोक सकेगा. हालांकि, इसके विपरीत, पाकिस्तान में तालिबान द्वारा किए गए हमलों में वृद्धि हुई है, जो दर्शाता है कि तालिबान के प्रयास विफल हो रहे हैं.
अफ़ग़ान तालिबान को टीटीपी और खोरासन प्रांत में आईएसआईएस जैसे अन्य आतंकी गुटों से जूझने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. पाकिस्तान के पूर्व राजदूत और अफ़ग़ानिस्तान के लिए विशेष प्रतिनिधि आसिफ दुर्रानी का मानना है कि अफ़ग़ान तालिबान के लिए इन गुटों को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इन समूहों का प्रभाव क्षेत्र बढ़ता जा रहा है.
बढ़ता सैन्य तनाव और भविष्य की स्थिति
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव से यह संभावना बन रही है कि दोनों देशों के बीच युद्धविराम और समझौतों की संभावना अब पहले की तुलना में और भी कठिन हो सकती है. अफ़ग़ान तालिबान की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और टीटीपी के हमलों से पाकिस्तान को अब और अधिक कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं. यह भी देखा जाएगा कि पाकिस्तान और अफ़ग़ान तालिबान के बीच बढ़ते तनाव के कारण क्षेत्रीय सुरक्षा और शांति पर क्या प्रभाव पड़ता है. इन घटनाओं के परिणामस्वरूप न केवल पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र की स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं.