उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा उर्फ नारायण हरि साकार के अनुयायी उनके पैरों की रज पाने के लिए इस कदर पागल हुए की भगदड़ मच गई. जिसके बाद मौके पर लाशों का अंबार लग गया. चारों ओर लाशें बिछ गईं. हाथरस में भगदड़ कांड के बाद से सत्संग करा रहे भोले बाबा की चर्चा तेज हो गई. कल तक गुमनाम इस बाबा के रहस्य धीरे-धीरे अब सामने आ रहे हैं. प्राइवेट आर्मी, आश्रम में किलेबंदी, डिजाइनर कपड़े और जूते, महंगे चश्मे और गोल्डन घड़ी बाबा को लेकर ऐसी बातें सामने आने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये बाबा धर्म के नाम पर धंधा चला रहा था.
नाम एक पहचान कई, कभी खुद को IB का अधिकारी बताता है तो कभी पुलिस से रिटायर्ड अधिकारी तो कभी खबर आती है कि ये हेड कांस्टेबल था. वहीं भक्तों के लिए एक आराध्य भी था. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इसकी असलियत क्या है?
जानकारी के मुताबिक भोले बाबा के सत्संग का आयोजन जब भी होता है तो उनके सेवादारों की प्राइवेट आर्मी सत्संग की सुरक्षा व्यवस्था, परिवहन, पार्किंग, पानी आदि की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित करती है. सेवादारों की आर्मी में महिलाएं भी शामिल होती है. जहां भी कथा का आयोजन होता है वहां मैदान की सफाई की पूरी जिम्मेदारी महिला सेवादारों की होती है और बाकी कार्यों की देख रेख पुरूष सेवा दार करते हैं.
लोगों के मुताबिक भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरी जहां भी जाता है. अपना काफिला लेकर घूमता है. बाबा के काफिले के पीछे और गाड़िया भी होती है, जिनमें से किसी एक में बाबा होता है. कहने को तो ये लोगों के लिए धर्मगुरू बने फिरता है लेकिन इनका रहन सहन किसी बड़े हस्ती से कम नहीं है.
भोले बाबा किसी अन्य बाबा की तरह भगवा पोशान नहीं पहनता. वह अपने सत्संग में थ्री पीस सूट और रंगीन चश्मे में नजर आता है. सूट और बूट का रंग हमेशा सफेद रखता है. कई बार तो कुर्ता पैजामा और सिर पर सफेद टोपी भी लगाकर सत्संग करने पहुंचता है. कुल मिलाकर बाबा पूरी ऐशो आराम की जिंदगी जीता है.
भोले बाबा का आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है. जहां किसी देवता की मूर्ति नहीं है. वहीं ये बाबा अपने आयोजन में भी कोई प्रसाद नहीं चढ़ता. अनुयायी भी कोई चढ़ावा नहीं चढ़ाते हैं. बाबा के अनुयायी भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि को परमात्मा कहते हैं. जबकि उसकी पत्नी को मां जी. हर समागम कार्यक्रम में बाबा और उसकी पत्नी दोनों शामिल होते हैं. जब बाबा नहीं होता है तो पत्नी प्रवचन देती है.
टिप टॉप अंदाज में रहने वाले इस भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरी हाथरस में अभी स्वैग के साथ समागम स्थल से निकल गए, लेकिन पीछे छोड़ गए एक ऐसी भीड़ जो उनकी भक्ति में इस कदर लीन थी कि आज पूरा हाथरस लाशों से पटा है.