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India Daily

'आप अतीत को फिर से नहीं लिख सकते', वक्फ संशोधन कानून पर सुनवाई के दौरान केंद्र से बोला सुप्रीम कोर्ट

Waqf Amendment Act: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून को लेकर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि आप अतीत को फिर से नहीं लिख सकते. इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों से कई तीखे सवाल किए.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
You cannot rewrite the past Supreme Court to Centre during hearing of waqf amendment Act
Courtesy: Social Media

Waqf Amendment Act: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ संशोधन कानून की कुछ धाराओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से कई सवाल किए. न्यायालय ने वक्फ भूमि और इसके उपयोग से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहरी चिंता व्यक्त की.

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, "हमें बताया गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय वक्फ भूमि पर बना है... हम यह नहीं कह रहे हैं कि वक्फ द्वारा उपयोग गलत है, लेकिन इस पर वास्तविक चिंता है." उन्होंने आगे कहा कि वक्फ द्वारा उपयोग की प्रथा, चाहे उसमें कुछ गलतफहमी हो, लेकिन इसको नकारना भी एक समस्या पैदा कर सकता है.

मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह भी सवाल किया, "अगर वक्फ के उपयोगकर्ता लंबे समय से उस भूमि का उपयोग कर रहे हैं, तो हम उनका पंजीकरण कैसे करेंगे? उनके पास क्या दस्तावेज होंगे?" यह सवाल इस दिशा में था कि क्या वक्फ भूमि पर पुराने उपयोगकर्ताओं के अधिकारों को रद्द किया जा सकता है, जबकि कुछ उपयोगकर्ता पूरी तरह से सही हैं.

इतिहास को पलटा नहीं जा सकता

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक और महत्वपूर्ण टिप्पणी आई. जब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वक्फ को एक ट्रस्ट में बदला जा सकता है, तो मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने प्रतिक्रिया दी, "आप इतिहास को रीराइट नहीं कर सकते!" इसका मतलब था कि अगर कोई सार्वजनिक ट्रस्ट 100 या 200 साल पहले वक्फ घोषित हुआ था, तो उसे अचानक वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जा करने का दावा करना उचित नहीं है.

वक्फ बोर्ड में मुस्लिम सदस्यता को लेकर विवाद

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि वक्फ बोर्ड के गठन में केवल आठ मुस्लिम सदस्य हैं, जबकि दो सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने यह कहा कि यदि ऐसा है तो "यह बेंच इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती." मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, "जब हम यहाँ बैठे होते हैं, तो हम अपनी धर्मिक पहचान को छोड़ देते हैं. हमारे लिए दोनों पक्ष समान हैं. आप इसे जजों से कैसे तुलना कर सकते हैं?"

उन्होंने यह भी सवाल किया, "क्या आप यह कह रहे हैं कि अब से आप हिंदू एन्डोमेंट बोर्ड्स में मुसलमानों को भी शामिल करने की अनुमति देंगे? इसे खुले तौर पर कहिए."

कानून बनाने की प्रक्रिया

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि इस कानून के निर्माण में एक संयुक्त संसदीय समिति के 38 सत्र हुए थे, और इसने देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया था. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के बाद, कानून को दोनों सदनों से पारित किया गया था.

आंदोलनों और हिंसा पर चिंता

मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने यह भी स्वीकार किया कि वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ जो विरोध हुए, उनमें हिंसा का सामना करना पड़ा, और यह स्थिति "चिंताजनक" थी.